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अब मच्छरों से खुद निपटेंगे दिल्लीवाले!

इस ऑटोमैटिक स्प्रे मशीन की कीमत डेढ़ से दो हजार हैं और इसमें एक बार में 18 लीटर कैमिकल और पानी का घोल डालकर एक गली की एक-एक नाली में छिड़काव किया जा सकता है.

अलग-अलग रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन उठाएगी कदम अलग-अलग रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन उठाएगी कदम
प्रियंका सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 25 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 6:01 PM IST

डेंगू और चिकुनगुनिया से लड़ने के लिए हर किसी को अपनी खुद की जिम्मेदारी समझनी होगी और खुद ही हथियार उठाने होंगे और इसी जिम्मेदारी के मद्देनजर अलग-अलग रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने अपनी गली के मच्छरों को साफ करने के लिए कमर कस ली है. पूर्वी दिल्ली की गलियो में एमसीडी की फोगिंग का कोई असर नहीं हो रहा हैं और स्प्रे करने के लिए कोई पहल नही होती.

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लिहाजा सबने मिलकर ये स्प्रे मशीन खरीदी और इसमें नुवान केमिकल को पानी में मिलाकर नालियो में स्प्रे करना शुरू कर दिया. रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन सदस्य लता चौधरी ने बताया कि हम किसी के भरोसे रहने के बजाए खुद ही समस्या को निपटाएं तो ज्यादा बेहतर होगा.

1000 रुपये का आ रहा खर्चा
इस ऑटोमैटिक स्प्रे मशीन की कीमत डेढ़ से दो हजार हैं और इसमें एक बार में 18 लीटर कैमिकल और पानी का घोल डालकर एक गली की एक-एक नाली में छिड़काव किया जा सकता है. इस मुहीम में रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन पर एक दिन में 1000 रुपये का खर्चा पड़ रहा हैं, जिसे हर कोई अपनी जेब से उठा रहा है. रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन सदस्य अमित ने बताया कि इन सबका खर्चा हम सभी बांट लेते हैं और मच्छरों से निपटने की कोशिश कर रहे हैं.

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RWA की पहल से निवासी खुश
इसके अलावा नार्थ दिल्ली में भी रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने इसी तरह से फोगिंग और स्प्रे मशीन दोनों खुद ही खरीदकर खुद ही मच्छरों से लड़ने का बीड़ा उठाया. फोगिंग मशीन को 7 से 8 हजार के खर्च पर खरीदा गया. एक बार में इस मशीन से करीब 20 से 30 घरों की फोगिंग की जा सकती है. RWA की इस पहल से वहां के निवासी भी संतुष्ट नजर आ रहे हैं. निवासी नीना का कहना हैं कि अगर कुछ पैसे एक्स्ट्रा खर्च करके सुरक्षा मिल रही हैं तो क्या बुरा है.

इसी तरह की मुहीम डेरावल नगर RWA भी कर रही है. अगर इसी तरह से हर मोहल्ले में जागरूकता सावधानी और थोड़े सी मेहनत हर कोई कर ले तो इन बीमारियो से बड़ी आसानी से निपटा जा सकता हैं । MCD की फोगिंग सिर्फ मच्छरों को भगाती है, मारती नहीं. अब ऐसे में गलियों की नालियों में छिड़काव से ही मच्छरों की ब्रीडिंग रोकी जा सकती है जो इस तरह की मुहिम से ही संभव हैं.

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