
महंगाई के मोर्चे पर आम जनता के लिए राहत की खबर आई है. फरवरी महीने में खुदरा महंगाई दर 4.44 फीसदी रही है. खाद्य पदार्थों के दाम कम होने से खुदरा महंगाई लगातार दूसरे महीने कम हुई है. इसके साथ ही महंगाई दर पिछले चार महीने के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है.
केंद्र सरकार ने सोमवार को सीपीआई के आंकड़े जारी किए हैं. इससे पहले जनवरी में भी खुदरा महंगाई दर में कमी दर्ज की गई थी. जनवरी महीने में खुदरा महंगाई दर 5.07 फीसदी रही थी. इससे पहले दिसंबर में यह दर 5.21 फीसदी के स्तर पर थी.
जनवरी से पहले दिसंबर के दौरान खुदरा महंगाई बढ़कर 5.21 फीसदी पर पहुंच गई थी. नवंबर में यह 4.88 फीसदी के स्तर पर थी. इस दौरान केन्द्र सरकार को इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन के क्षेत्र में राहत के आंकड़े मिले.
बता दें कि समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने अपने पोल में अनुमान लगाया था कि फरवरी में मुद्रास्फीति जनवरी के 5.07 फीसदी से घटकर 4.80 फीसदी पर आ सकती है. फरवरी महीने में सीपीआई का आंकड़ा रॉयटर्स के अनुमान के आसपास ही आया है.
सरकार अपने स्तर पर अलग-अलग एजेंसियों और सूचकांकों के जरिये महंगाई मापती है. महंगाई मापने के बाद एक निश्चित समय पर आंकड़े जारी किए जाते हैं. ये आंकड़े बताते हैं कि देश में महंगाई का क्या हाल है.
आम जन-जीवन में घटने और बढ़ने वाली महंगाई को खुदरा मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के जरिये मापा जाता है. जब भी सीपीआई के आंकड़े पेश किए जाते हैं, तो इसमें महंगाई बढ़ने और घटने की वजहें भी गिनाई जाती हैं.
दूसरी तरफ, जब कारोबार के क्षेत्र में महंगाई मापी जाती है, तो इसके लिए थोक महंगाई सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) का इस्तेमाल किया जाता है. ये आंकड़े हर महीने पेश किए जाते हैं. इन आंकड़ों को अक्सर 12 से 15 तारीख के बीच जारी किया जाता है.