
छत्तीसगढ़ में सड़क हादसों ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. ढाई करोड़ की आबादी वाले इस प्रदेश में सड़क हादसों की गति दिन दूनी रात चौगनी प्रगति कर रही है. राज्य में नेशनल हाइवे से लेकर राज्यमार्ग और आम सड़कें नई बनी हैं. लेकिन सड़क हादसों ने इन सड़कों की गुणवत्ता और इंजीनियरिंग पर सवालिया निशान लगा दिया है.
जानलेवा साबित हो रही हैं सड़कें
वाहन चालकों का तर्क है कि सड़कों का लेवल जानलेवा साबित हो रहा है. उनके मुताबिक लंबी चौड़ी सड़कें तो सरकार ने बना दीं लेकिन इंजीनियरों ने उसके लेवल पर
ध्यान नहीं दिया. इसके चलते कई सड़कों पर वाहनों के रफ्तार पकड़ते ही टायर और सड़क के बीच बनने वाला गेप वाहन को अनियंत्रित कर देता है. इससे पहले कि
वाहन को काबू में किया जाए दुर्घटना हो रही है. सड़क दुर्घटनाओं में आई तेजी से लोगों का बुरा हाल है.
दो वर्ष में गई 6728 लोगों की जान
पिछले दो वर्ष में 6728 लोगों ने सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवाई है. गृह विभाग की तरफ से दिए गए आंकड़ों के मुताबिक साल 2015-16 में 3846 लोगों की मौत
सिर्फ सड़क दुर्घटना में हुई है. जिसमें से 1641 परिवारों को सरकार की तरफ से चार करोड़ दस लाख 25 हजार रुपये मुआवजे के तौर पर बांटा गया है. वहीं साल
2016-17 में 2882 लोगों की मौत हुई है.
सड़क दुर्घटना के ये आंकड़ें सिर्फ जनवरी 2017 तक के हैं. अगर इसमें फरवरी-मार्च को जोड़ दिया जाए तो आंकड़ा और भी बढ़ जाएगा. सड़क दुर्घटना में मारे गए 2882 लोगों में से 952 परिवारों को दो करोड़ 38 लाख मुआवजा दिया गया है. इन आंकड़ों में चौकाने वाला पहलू ये भी है कि सड़क दुर्घटना में ज्यादातर युवाओं की मौत हुई है और ज्यादातर मौत सिर में चोट लगने की वजह से हुई है.
राज्य में आखिर क्यों सड़क हादसों और इस दौरान होने वाली मौतों की गति बढ़ गई है. इस ओर राज्य सरकार ने ना तो हकीकत पता करने की कोशिश की है. और ना ही सड़कों की लेवलिंग को लेकर जांच के निर्देश दिए हैं. फिलहाल राज्य की ज्यादातर चमचमाती सड़कें मौत की राह में तब्दील होती जा रही हैं.