Advertisement

रोहिंग्या मुस्लिम के दर्द से दुखी भारत के मुस्लिम उलेमा

भारत में अवैध रूप से करीब 40 हजार रोहिंग्या मुस्लिम रह रहे हैं, जिन्हें वापस भेजने की आवाज भी उठ रही है. ऐसे में रोहिंग्या मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार के दर्द की पीड़ा भारत के मुस्लिम धर्मगुरुओं और रहनुमाओं को भी है.

रोहिंग्या मुस्लिम रोहिंग्या मुस्लिम
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 08 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 1:01 PM IST

म्यांमार के रोहिंग्या मुस्लिम भयावह स्थिति से पीड़ित हैं. अपने ही देश में बेगाने हो चुके रोहिंग्या मुस्लिमों को कोई भी देश अपनाने को तैयार नहीं. भारत में अवैध रूप से करीब 40 हजार रोहिंग्या मुस्लिम रह रहे हैं, जिन्हें वापस भेजने की आवाज भी उठ रही है. ऐसे में रोहिंग्या मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार के दर्द की पीड़ा भारत के मुस्लिम धर्मगुरुओं और रहनुमाओं को भी है.

Advertisement

म्यांमार पर मोदी सरकार दबाव बनाए: इमाम बुखारी

दिल्ली के जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कहा कि  म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों के साथ जिस बर्बर तरीके से जुल्म हो रहा है, वह इंसानियत को शर्मसार करने वाला है. मोदी सरकार से हम उम्मीद करते हैं कि इंसानी हमदर्दी के तहत म्यांमार सरकार पर दबाव बनाए, ताकि हिंसा और कत्लेआम रुक सके. हिंदुस्तान सदियों से परेशान लोगों की मदद करता रहा है. ऐसे में सरकार रोहिंग्या मुस्लिमों के साथ भी उसी परम्परा का निर्वाहन करेगी.

म्यांमार में UN करे दखल: मुफ्ती मुकर्रम

दिल्ली के फतेहपुरी मस्जिद के इमाम मौलाना मुफ्ती मुकर्रम ने कहा, म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिम पर सरकार का अत्याचार जारी है और दुनिया खामोश है. म्यांमार खुलेआम मानवाधिकारों का उल्लघंन कर रहा है और संयुक्त राष्ट्र चुपचाप बैठा है. जबकि UN को इस मामले में दखल देना चाहिए, ताकि वहां शांति स्थापित हो सके. भारत रह रहे रोहिंग्या मुस्लिमों को स्थाई समाधान के बाद ही वापस म्यांमार भेजा जाए. इससे पहले उन्हें वापस भेजना इंसानियत के खिलाफ होगा.

Advertisement

जालिम हो चुकी है म्यांमार सरकार: कल्बे रुशैद

शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे रुशैद कहते हैं, मै हमेशा से मजलूम के साथ और जालिम के खिलाफ रहा हूं. किसी भी चुनी हुई सरकार या विरसत में मिली हुकूमत दो ही हालातों में चलती है. न इमान से हट के हो और न ही इंसानियत से घट के हो. रोहिंग्या मुस्लिमों की तस्वीर देखकर ये एहसास हुआ कि म्यांमार सरकार जालिम हो चुकी है. रोहिंग्या मुस्लिम के मामले पर सऊदी अरब की खामोशी समझ से परे है. सऊदी जिनके हाथों में तेल देता है वो हाथ उनके भाई के खूनों से सने हुए हैं. सऊदी अरब लगता है अपनी विदेश नीति बदल ही, तभी वह खामोशी अख्तियार किए हुए है.

आंग सान सू से नोबल पुरस्कार वापस लिया जाना चाहिए: कमाल फारुकी

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारुकी कहते हैं, म्यांमार में काफी पहले रोहिंग्या मुस्लिमों जुल्म कर रहा है और UN से लेकर दुनियभर के लोग खामोश है. आंग सान सू को शांति के लिए मिला नोबल पुरस्कार वापस लिया जाना चाहिए. क्योंकि आज वो शांति के खिलाफ है.भारत में इन पीड़ितों को धर्म के नजर से देखा जा रहा है. भारत के केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रीजिजू का बयान शर्मसार करने वाला है. हिंदुस्तान की तहजीब रही है कि वो हमेंशा पीड़ितों की मदद करता रहा है. श्रीलंका से आए तमिल हों या फिर अफगानिस्तान के अफगानी. सबको शरण दिया है. बंग्लादेश से आए हुए हिंदुओं को नागरिकता देने की बात करते लेकिन मजलूम रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजने की बात करते हैं.

Advertisement

रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस भेजना अंतरराष्ट्रीय लॉ के खिलाफ है: सलीम इंजीनियर

जमात-ए-इस्लामी हिंद के महासचिव सलीम इंजीनियर कहते हैं कि हम उम्मीद करते थे पीएम नरेंद्र मोदी रोहिंग्या मुस्लिमों के मामले में खुलकर म्यांमार में बोलेगे, लेकिन उन्होंने मायूस किया है. भारत का बर्मा के साथ एक संबंध रहा है. ऐसे में भारत रोहिंग्या मुस्लिम के मुद्दे का समाधान कर सकता है. रोहिंग्या मुस्लिम काफी संख्य में भारत में भी रह रहे हैं. इस बीच कुछ सांप्रदायिक लोग उन्हें इन हालातों में म्यांमार वापस भेजने की बात उठा रहे हैं. जबकि अंतरराष्ट्रीय लॉ और इंसानियत दोनों इसकी इजाजत नहीं देती है. 

 

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement