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उच्चतम न्यायालय ने सहारा प्रमुख सुब्रत राय को राहत देते हुए उनके पैरोल की अवधि 11 जुलाई तक के लिये बुधवार को बढ़ा दी ताकि वह सेबी के पास 200 करोड़ रुपये जमा करा सके. सुनवाई के दौरान कोर्ट सहारा समूह की संपत्ति की लिस्ट देख कर दंग रह गया. कोर्ट ने सुब्रत के वकील से कहा- 'कर क्यों नहीं देते भुगतान.'
न्यायालय को सलाह देने के लिये नियुक्त वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफाड़े ने कहा कि ये सवाल है कि आखिर सहारा समूह अंबे वैली तथा विदेशों में अपने होटलों की बिक्री के खिलाफ क्यों था. कोर्ट में सुनवाई के दौरान बंद लिफाफे में सहारा समूह की संपत्ति की सूची सौंपी गई. जिस पर पीठ ने सुब्रत रॉय के वकील से कहा कि आपकी संपत्ति का मूल्य आपकी देनदारी से कहीं ज्यादा है न्यायालय ने कहा, जब इतनी संपत्ति हो तो आखिर व्यक्ति भुगतान करने में क्यों झिझकेगा.
200 करोड़ रुपये जमा करने का मामला
बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी ) के साथ लंबे समय से चल रहे विवाद के संदर्भ में शीर्ष अदालत के आदेश से सहारा प्रमुख चार मार्च 2014 से जेल में हैं. पीठ ने कहा, हम सुब्रत राय और आशोक राय चौधरी को 200 करोड़ रुपये जमा करने की पेशकश को साबित करने को लेकर 11 जुलाई तक का समय देना चाहते हैं.
पैसे जमा करने में विफल रहे तो वापस आएंगे जेल
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि अगर वे 11 जुलाई तक 200 करोड़ रुपये जमा करने में विफल रहते हैं तो उन्हें समर्पण करना होगा और तिहाड़ जेल वापस जाना होगा. पीठ ने यह भी कहा कि छह मई के आदेश के अनुसार राय और चौधरी संपत्ति के संभावित खरीदारों से मुलाकात करने और पुलिस सुरक्षा में देश के भीतर कहीं भी जाने के लिए आजाद हैं. न्यायालय ने यह भी व्यवस्था दी कि सेबी सहारा की संपत्तियों की नीलामी जारी रखेगा.
कोर्ट ने दी इजाजत बेच सकते हैं संपत्ति
पीठ ने कहा कि सहारा बैंक गारंटी के रूप में 5,000 करोड़ रुपये जुटाने को लेकर अन्य संपत्ति की बिक्री और हस्तांतरण के लिये भी कदम उठा सकता है. उन्हें जमानत के लिये 5,000 करोड़ रुपये के अलावा 5,000 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जमा करनी है.