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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने एक बार फिर से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने की मांग की है. RSS नेता इन्द्रेश कुमार ने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने से भारत की कीर्ति और यश बढ़ेगा. देश का भविष्य बदलेगा और यह नई दशा और दिशा की ओर बढ़ेगा.
जयपुर में युवा दिवस के मौके पर उन्होंने युवाओं से कहा कि आपको स्वामी विवेकानंद के मार्ग पर चलकर आगे बढ़ने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि कश्मीर समस्या कुछ राजनीतिक परिवारों की देन है, जिन्होंने अपने फायदे के लिए वहां के लोगों को हिन्दुस्तान के खिलाफ भड़काया.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से भारत जूझ रहा है. साल 1972 से अब तक भारत में आतंकवाद की वजह से 66 हजार लोगों की जान जा चुकी है. इतना सब कुछ होने के बावजूद अब भी भारत-पाकिस्तान सीमा पर गोलीबारी और आतंकी घुसपैठ जारी है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार की नीतियों से आतंकवादी घटनाओं में कमी आई है.
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RSS नेता ने कहा कि कई अलगाववादी नेता जेल की हवा खा रहे हैं और भटके हुए युवाओं को मुख्य धारा से जोड़ने का काम किया जा रहा है. इससे पहले पीएम मोदी ने एक जनसभा में कहा था कि अनुच्छेद 370 पर बहस होनी चाहिए. मालूम हो कि बीजेपी ने अपने चुनावी एजेंडे में भी जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना शामिल किया था.
आखिर क्या है अनुच्छेद-370
1. संविधान का अनुच्छेद 370 अस्थायी प्रबंध के जरिए जम्मू और कश्मीर को एक विशेष स्वायत्ता वाले राज्य का दर्जा देता है.
2. 370 का खाका 1947 में शेख अब्दुल्ला ने तैयार किया था, जिन्हें प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर का प्रधानमंत्री नियुक्त किया था.
3. शेख अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 को लेकर यह दलील दी थी कि संविधान में इसका प्रबंध अस्थायी रूप में ना किया जाए. उन्होंने राज्य के लिए मजबूत स्वायत्ता की मांग की थी, जिसे केंद्र ने ठुकरा दिया था.
4. संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के अनुसार संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है. लेकिन अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू कराने के लिए केंद्र को राज्य का अनुमोदन चाहिए.
5. इसी विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर पर संविधान का अनुच्छेद 356 लागू नहीं होता. राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है.
6. भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते हैं. यहां के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है. एक नागरिकता जम्मू-कश्मीर की और दूसरी भारत की होती है.
7. यहां दूसरे राज्य के नागरिक सरकारी नौकरी नहीं कर सकते.
8. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360 जिसमें देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता.
9. अनुच्छेद 370 की वजह से ही जम्मू-कश्मीर का अपना अलग झंडा और प्रतीक चिन्ह भी है.
10. 1965 तक जम्मू और कश्मीर में राज्यपाल की जगह सदर-ए-रियासत और मुख्यमंत्री की जगह प्रधानमंत्री हुआ करता था.