
साहित्य आजतक 2018 के तीसरे दिन सीधी बात मंच पर‘हिंदी मांगे मोर’ सत्र में दर्शक दो बड़े प्रकाशकों अलिंद माहेश्वरी और मीरा जोहरी ने अपने विचार रखे. दोनों ने बताया कि किस तरह आज भी नई पीढ़ी में ऐसे लेखक हैं जो हिंदी में लिखना पसंद करते हैं.
राजकमल प्रकाशन ग्रुप के डायरेक्टर आलिंद माहेश्वरी ने कहा कि आज भी कंटेंट ही बड़ा है, मार्केटिंग आपको कुछ हद तक फायदा पहुंचाती है. लेकिन अगर बड़े फायदे को देखें तो कंटेट के दम पर ही लेखक और किताबें आगे चलती हैं.
राजपाल एंड सन्स की मीरा जौहरी ने कहा कि हिंदी आज एक किनारे पर आ रही है. पिछले कुछ समय में हिंदी में नए लेखक आए हैं, उन्हें मौका भी दिया गया है. उन्होंने कहा कि लेखक बहुत सेंसेटिव होते हैं, कंटेट अच्छा होगा तभी भविष्य है.
साहित्य आजतक: 'वो भगवा-हरा चिल्लाएंगे, तुम तिरंगे पर अड़े रहना'
मीरा जौहरी ने कहा कि कंटेंट किंग है, लेकिन मार्केटिंग भी जरूरी है. उन्होंने कहा कि प्रकाशक का एडिटोरियल ग्रुप सिर्फ लेखक को सुझाव दे सकता है वो भी शब्दों को लेकर लेकिन लेखक का निर्णय ही आखिरी होता है.
उन्होंने कहा कि कंटेट पर लेखक की चलती है, लेकिन कवर पर प्रकाशक की भी चलती है. मीरा जौहरी ने कहा कि लोग आज भी सोचते हैं कि हिंदी की किताबें सस्ती ही होंगी, अंग्रेजी किताब को 1000 रुपये में लोग खरीद सकते हैं लेकिन हिंदी किताब को 300 रुपये में नहीं लेते हैं.
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