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साहित्य आजतक: मालिनी अवस्थी की आवाज से छलकी माटी की खुशबू

साहित्य आजतक 2018 के मंच पर लोकगायिका मालिनी अवस्थी ने लोकगीतों की छटा बिखेरी और अपने गीतों से समां बांध दिया.

मालिनी अवस्थी मालिनी अवस्थी
मोहित पारीक
  • नई दिल्ली,
  • 16 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 2:46 PM IST

साहित्य आजतक 2018 के मंच पर लोकगायिका मालिनी अवस्थी ने लोकगीतों की छटा बिखेरी और अपने गीतों से समां बांध दिया. पद्मश्री से सम्मानित मालिनी अवस्थी ने भगवान राम के भजन 'राम अवध घर आए' से शुरुआत की. उसके बाद उन्होंने एक के बाद एक कई गाने गए. उनका मानना है कि लोकगीतों को गाने के लिए उसे जीना होता है.

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उसके बाद मॉरीशस में भोजपुरी के प्रचार प्रसार, विदेश में भोजपुरी गाने और उनपर किए जाने वाले डांस पर बात की. इस दौरान उन्होंने मंच पर थिरकते हुए एक गाना गाया, जिसके बाद दर्शक भी झूमते नजर आए.

अपने करियर के बारे में बताया कि उन्होंने पांच साल की उम्र से ही गाना शुरू कर दिया था और उन्होंने मन से ही ये शुरू किया था, क्योंकि उनके परिवार में कोई भी नहीं गाता है. बता दें कि उनके पिता डॉक्टर थे. उन्होंने बताया, ' साल 1975 में जब भारत ने हॉकी वर्ल्ड कप जीता था और उस वक्त ध्यानचंद के बेटे झांसी आए थे. तब मैं 7 साल की थी, तब मैंने पहली बार मंच पर गाना गाया.

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उसके बाद संगीत नाटक अकादमी में फर्स्ट आई. उसके बाद उन्होंने गाने का सफर जारी रखा. हालांकि एक आईएएस अधिकारी से शादी होने के बाद उन्हें गाने में थोड़ी मुश्किल होती थी. दरअसल पति के ट्रांसफर के वजह से उन्हें अलग अलग शहरों में रहना पड़ता था और वहां अलग अलग तरह के लोगों से सामना होता था.

बता दें कि उन्होंने कई फिल्मों में भी गाने गाए है, जिसमें एजेंट विनोद, लिपस्टिक अंडर माय बुर्का, दम लगा के हईशा आदि शामिल हैं. आखिर में उन्होंने 'दिल मेरा मुफ्त का', 'हमें तुमसे प्यार कितना' जैसे कई फिल्मी और भैरवी राग के गाने गाए. उन्होंने यह भी बताया, 'भैरवी राग ऐसा है, जिसमें जितनी कमाल की कॉम्पोजिशन पर आप झूमते हैं या गुनगुनाते हैं, वो भैरवी में है. भैरवी के बिना कहां ठुमरी है और कहां फिल्मी राग है.' साथ ही उन्होंने अलग-अलग रागों के बारे में बताया.

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