
दिल्ली के अलग अलग इलाकों में बीते कुछ दिनों से सीलिंग की कार्रवाई चल रही है जिसे लेकर व्यापारी एमसीडी से नाराज़ हैं. व्यापारियों के इस गुस्से को विरोधी पार्टियां खूब भुनाने में लगी है. इसी बीच अब एमसीडी ने सीलिंग के लिए दिल्ली सरकार पर पलटवार करते हुए, आप सरकार को सीलिंग के लिए जिम्मेदार बताया है.
नॉर्थ एमसीडी में स्थाई समिति अध्यक्ष तिलक राज कटारिया ने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब एमसीडी का बंटवारा नहीं हुआ था तब एककृत एमसीडी ने साल 2007 और साल 2009 में 351 सड़कों को चिन्हित किया था और इन जगहों को कमर्शियल एंड मिक्सड लैंड यूज के लिए दिल्ली सरकार को अधिसूचित करने के लिए भेजा था. जिसे दिल्ली सरकार ने अब तक अधिसूचित नहीं किया है. कटारिया ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार के पास फाइल अधिसूचना के लिए जाने पर इन सड़कों पर लोगों ने अधिसूचित होने की संभावना को देखते हुए कमर्शियल गतिविधियां शुरु तो कर दीं, लेकिन दिल्ली सरकार द्वारा अब तक इन सड़कों को अधिसूचित ना किये जाने के कारण उन पर सीलिंग की तलवार लटक रही है. इस वजह से इसके लिए पूरी तरह दिल्ली सरकार ही जिम्मेदार है.
कटारिया ने एमसीडी में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के पार्षदों पर आरोप लगाते हुए कहा कि दोनों ही राजनीतिक पार्टियां इसपर गंभीर और संवेदनशील नहीं है. दिल्ली स्पेशल प्रोविजन एक्ट में संशोधन कर सीलिंग और डेमोलिशन की कार्यवाही से राहत दिलाने के लिए 31 दिसंबर 2020 तक तारीख करने के लिए जो सदन की बैठक बुलाई गई थी उसमें कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का कोई भी सदस्य उपस्थित नहीं था.
कटारिया ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने यदि वक्त पर 351 सड़कों को अधिसूचित कर दिया होता तो व्यापारी कंवर्जन चार्ज जमा करा सकते थे. फिलहाल जब अधिसूचना ही नहीं हुई तो व्यापारी कंवर्जन चार्ज कैसे जमा कराएं और यही वजह है कि उन्हे सीलिंग की कार्रवाई के कारण परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.