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समलैंगिकता की सुनवाई: अटॉर्नी जनरल की राय सरकार से अलग, नहीं करेंगे वकालत

वेणुगोपाल का साफ शब्दों में कहा, 'मैंने सरकार का जो पक्ष रखा था अब सरकार की राय उससे भिन्न है. यही वजह है कि मैं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने पेश नहीं हो रहा हूं.'

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल
मोनिका गुप्ता/संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 11 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 7:59 AM IST

केंद्र सरकार का मत बदलने की वजह से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने समलैंगिकता के मुद्दे से जुड़ी विभिन्न याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की रिव्यू याचिका की सुनवाई के दौरान पेश होने से खुद को अलग कर लिया. बता दें कि अटॉर्नी जनरल की जगह मंगलवार को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सरकार का पक्ष रखा.

केके वेणुगोपाल ने कहा है कि उनकी राय इस मामले में केंद्र सरकार से अलग है, इसलिए वह इस मामले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में सरकार की ओर से पेश नहीं होंगे.

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इस बारे में पूछे जाने पर वेणुगोपाल का साफ शब्दों में कहा, 'मैंने सरकार का जो पक्ष रखा था अब सरकार की राय उससे भिन्न है. यही वजह है कि मैं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने पेश नहीं हो रहा हूं. कायदे से हो भी नहीं सकता. वैसे मेरी अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से इस मुद्दे के तकनीकी और कानूनी पहलुओं के साथ दलीलों और तर्कों पर काफी गंभीर चर्चा हुई है.'

के के वेणुगोपाल ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई कर फैसला देने वाले जज काफी अनुभवी होकर सुप्रीम कोर्ट आ चुके हैं.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के 2013 में आए फैसले को पलटते हुए आईपीसी की दफा 377 के तहत बताए कृत्य को फिर अपराध करार देने का फैसला सुनाया था. इस फैसले का रिव्यू करने की याचिका पर कोर्ट की संविधान पीठ ने मंगलवार से सुनवाई शुरू की है.

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