
रामविलास पासवान को राजनीति के अहम दलित चेहरों में से एक माना जाता है. पासवान कई दशकों से देश और बिहार की सियासत में खास जगह बनाए हुए हैं. लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख और केंद्र सरकार में उपभोक्ता मामलों के मंत्री पासवान का मानना है कि आजादी के बाद से अब तक देश में जितने भी काम हुए, उन सबकी तुलना की जाए तो प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी का काम सब पर भारी रहेगा. ‘आजतक’ के फ्लैगशिप शो ‘सीधी बात’ में हिस्सा लेते हुए पासवान ने दावा किया कि 2019 में भी नरेंद मोदी ही प्रधानमंत्री बनेंगे.
चिराग और मेरी जनरेशन में फर्क है: पासवान
दलितों की नाराजगी के सवाल पर पासवान ने कहा कि उनकी और चिराग पासवान की जनरेशन में फर्क है. पासवान के मुताबिक उनकी जनरेशन में जुल्म और गाली सह ली जाती थी लेकिन आज की जनरेशन सम्मान की जिंदगी जीना चाहती है. पासवान ने दलितों के घर जाकर खाना खाने की पब्लिसिटी करने को गलत ठहराया. पासवान ने ये भी कहा कि दलित एक्ट के मामले में लॉ मिनिस्ट्री और डिपार्टमेंट एक्टिव रहते तो रिव्यू पेटिशन दाखिल करने में देर नहीं होती.
मोदी फिर बनेंगे पीएम, एनडीए की बनेगी सरकार
‘सीधी बात’ में एंकर श्वेता सिंह के बेबाक सवालों के पासवान ने सीधे जवाब दिए. लोकसभा में बिहार की हाजीपुर सीट की नुमाइंदगी करने वाले पासवान से जब पूछा गया कि लालू प्रसाद आपको राजनीति के मौसम विशेषज्ञ बताते हैं, इस नाते चुनावों का पूर्वानुमान क्या है? तो उन्होंने कहा, “हमने पहले ही कह दिया है कि 2019 में कोई वेकेंसी है नहीं. ठीक है अपोजिशन के लोग मेहनत करें, लेकिन कोई फल मिलने वाला है नहीं, मोदी जी फिर प्रधानमंत्री बनेंगे. बहुमत से और एनडीए की सरकार बनेगी.”
'3 दिन में 5 देश घूमने वाले के काम की तुलना नहीं की जा सकती'
पासवान ने काम काज के बूते ही एनडीए की दोबारा सरकार बनने की उम्मीद जताते हुए कहा, “इस सरकार ने तो इतना काम किया है, आजादी के बाद से अब तक यानि पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर अब तक जितने काम हुए उन सबको एक जगह रख दीजिए और नरेंद्र मोदी के काम को एक जगह रख दीजिए फिर भी मोदी का पलड़ा भारी दिखेगा. मोदी मीन्स वर्क, मोदी मीन्स काम. जो व्यक्ति तीन दिन में 5 देश घूमता हो और आधे से अधिक समय प्लेन में बिताता हो तो उस व्यक्ति के काम की तुलना कौन कर सकता है, कोई नहीं कर सकता है.”
'अंबेडकर के लिए सबसे ज्यादा काम मोदी ने किया'
देश में दलितों में गुस्सा है, इस सवाल के जवाब में पासवान ने कहा, “दलित का गुस्सा स्वाभाविक है, जो रामविलास पासवान का जनरेशन था और जो चिराग पासवान का जनरेशन है, दोनों में बुनियादी फर्क है. हमारे जनरेशन के लोग थे जिन्होंने जुल्म को सह लिया, गाली को सुन लिया लेकिन जो नई जनरेशन के लोग हैं वो इज्जत और सम्मान की जिंदगी जीना चाहते हैं. वो टूट सकते हैं लेकिन झुकने को तैयार नहीं हैं. आजादी के बाद से जैसे-जैसे वक्त गुजर रहा है, बाबा साहब अंबेडकर का विचार मुखर रूप से सामने आ रहा है. और बाबा साहेब अंबेडकर के लिए जितना नरेंद्र मोदी जी ने किया है उतना मुझे नहीं लगता है कि शायद किसी सरकार ने किया हो.”
योजनाओं के नाम रखना, अंबेडकर की मूर्ति लगाना, ये सारी चीज़ें क्या सांकेतिक राजनीति नहीं? इस सवाल के जवाब में पासवान ने कहा, “योजनाओं में जैसे जनधन योजना है, उसमें किसका खाता नहीं था. 100 प्रतिशत अनुसूचित जाति (SC) के लोगों का खाता नहीं था. आज उनका खाता खुल गया. मुद्रा योजना है, सवा लाख बैंकों को कहा गया कि आप प्रत्येक बैंक में से एक दलित महिला, एक दलित पुरुष को बिजनेसमैन बनाओ, फिक्की के मुकाबले में डिक्की आ गया है, जितने काम हुए हैं वो सारा का सारा गरीबों के हक में है.”
...तो इसलिए है दलितों में नाराजगी
इतना सब कुछ हो रहा है तो फिर दलितों में नाराजगी क्यों है? इस सवाल पर पासवान ने कहा, “नाराजगी दो चीजों की वजह से है. एक तो हम अपनी बात को सही ढंग से रख नहीं पाते हैं. लोगों तक नहीं पहुंचा पाते हैं. क्योंकि हमारे जो आदमी हैं, दलित वर्ग के लोग हैं वो आज भी बहुत पिछड़े हुए हैं. उनको बार-बार समझाने की जरूरत होती है कि हमने तुम्हारे लिए क्या किया. उदाहरण के लिए ऊना में और झज्जर में घटनाएं घटीं, झज्जर में थाने के सामने 5 दलितों को जिंदा जला दिया गया. सरकार ने ऊना के मामले में क्विक एक्शन लिया, मुख्यमंत्री हट गए, 36 अफसर सस्पेंड कर दिए गए. ये सारी की सारी चीज़ें हुईं लेकिन हम इन्हें ढंग से बता नहीं पाते हैं, नतीजा ये होता है कि इंप्रेशन ठीक से जा नहीं पाता है.”
ऐसे मुद्दों पर आपकी आवाज सशक्त तौर पर नहीं सुनाई देती है? इस सवाल पर पासवान ने कहा, “जहां तक दलित एक्ट का मामला है, जब ये बना तब हम मिनिस्टर थे और वी पी सिंह की सरकार थी 1989 में. उसमें 22 प्वाइंट थे कि ये ये होगा तो अपराध माना जाएगा. नरेंद्र मोदी की सरकार आई तो 26 जनवरी 2016 से (एक्ट) लागू हुआ तो उसमें 22 की बदले 47 प्वाइंट थे. अब कोई कोर्ट में चला गया. धारा में ये था कि किसी के खिलाफ एफआईआर हुई तो गिरफ्तारी होगी. इन्होंने कहा कि गिरफ्तारी नहीं होगी उसको एंटिसिपेटरी बेल मिल सकती है. पहले सीनियर अफसर उसकी जांच करे कि वो सही है या नहीं. हालांकि हमने इसे संविधान की धारा 15(4) के तहत बनाया था जिसमें अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए स्पेशल प्रोविजन की आवश्यकता है कि कानून बना सकते हैं.”
रिव्यू पेटिशन दाखिल करने में मोदी सरकार की ओर से देर क्यों की गई? इस सवाल के जवाब में पासवान ने कहा, “अब कोर्ट ने कहा कि जेल नहीं होगा, तो गुस्सा हमारे (सरकार) पर क्यों था. गुस्सा तो जो कोर्ट का जजमेंट था उसके खिलाफ था. हमें भी आक्रोश था, इसलिए हमारी पार्टी से चिराग पासवान ने तुरंत रिव्यू पेटिशन दाखिल किया. फिर हम लोग प्रधानमंत्री से मिले. प्रधानमंत्री ने कहा कि रिव्यू पेटिशन हम लोग दायर करेंगे. बीच में 6 दिन छुट्टी हो गई, लेकिन हम इस बात को मानते हैं कि अगर लॉ मिनिस्ट्री और डिपार्टमेंट एक्टिव रहता. सबको एक ही साथ बिठाकर, बजाए कि कागज यहां से वहां जाता, फाइल वहां से यहां आए, निर्णय ले सकता था क्योंकि सरकार ने तो निर्णय ले लिया था.”
कोर्ट का रुख सुनने के बाद भी आप अध्यादेश के पक्ष में हैं? इस पर पासवान का कहना था, “कोर्ट का क्या जजमेंट होगा वो तो हमारे हाथ में नहीं है. लेकिन हां, हम घोषणा करते हैं सरकार की तरफ से, क्योंकि पीएम ने हाई पॉवर कमेटी बनाई थी, हमने ये निर्णय ले लिया है. कोर्ट को गंभीरता से सोचना चाहिए और उसके बावजूद भी नहीं किया है तो फिर ऑर्डिनेंस लाएंगे.”
क्या आप सरकार के खिलाफ दलितों के गुस्से को जायज मानते हैं, इस सवाल के जवाब में पासवान ने कहा, “सरकार को लेकर ये गुस्सा नहीं था. सरकार ने तो अपना काम किया. सरकार ने कानून को मजबूत किया. लेकिन उस कानून को सुप्रीम कोर्ट ने डायल्यूट करने का काम किया. तो गुस्सा तो जजमेंट के खिलाफ था ना.”
दलितों के घर खाना खाने खाएं, पब्लिसिटी न करें: पासवान
दलितों के घर जाकर नेताओं के खाना खाने से जुड़े सवाल पर पासवान ने कहा, “जिसको जहां खाना है खाए, ये कहना कि हम दलित के यहां खाना खाने जाते हैं ये ठीक नहीं है. हम अपने चुनाव क्षेत्र में ब्राह्मण के यहां भी जाते हैं, राजपूत के यहां भी जाते हैं, दलित के यहां भी जाते हैं. अधिकतर तो दलित के यहां भी जाते हैं क्योंकि हैं, उसके लिए पब्लिसिटी करने की क्या जरूरत है.”
दलित के घर जाकर नए बर्तन, बाहर का खाना..क्या आप को लगता कि उससे उल्टा नुकसान हो जाता है? इस सवाल पर पासवान ने कहा, “बिना बुलाए मेहमान क्यों बनते हैं, आपको कोई बुलाता है खाना खाने के लिए तो जाइये और खाइये. लेकिन बाहर का खाना कोई लेकर जाए, ये दिखाने के लिए कि हम आपके यहां खाना खा रहे हैं तो गलत बात है. अब हर जगह हर तरह के लोग होते हैं, उनको लगा होगा कि मीडिया वाले नहीं देख रहे होंगे कि हम खाना कहां से लाए हैं.”
कभी किसी दलित मुद्दे पर इतना गुस्सा आया हो कि दिल किया कि इस्तीफा दे दें? इस सवाल के जवाब में पासवान ने कहा, “आपने मन की बात सुनी होगी, नरेंद्र मोदी ने पैगंबर मोहम्मद के बारे में इतनी अच्छी बात कही कि कोई मौलवी भी नहीं कह सकता है.”
'ऊंची जाति के गरीबों को मिले आरक्षण'
सवर्ण भी गुस्सा हैं, कहते हैं कि हमें भी आरक्षण दो. गरीबी के आधार पर क्या आरक्षण नहीं होना चाहिए? इस सवाल के जवाब में पासवान ने कहा, “2000 में जिस दिन से हमारी पार्टी बनी है, हम मांग कर रहे हैं कि 15 प्रतिशत आरक्षण ऊंची जाति के गरीब लोगों को मिलना चाहिए. हमने कहा था कि अगर आपको जाति व्यवस्था खत्म करनी है तो अंतर जातीय विवाह में भी आरक्षण कर सकते हो. हम तो 15 परसेंट की मांग शुरू से ही कर रहे हैं.’
'हम किसी के बंधुआ मजदूर नहीं'
क्या 2019 में एनडीए का हिस्सा रहेंगे, आपने कहा था कि बीजेपी को अपने सहयोगियों पर ध्यान देना चाहिए? इस सवाल के जवाब में पासवान ने कहा, बिल्कुल एनडीए का हिस्सा रहेंगे. सहयोगियों पर ध्यान देने की बात हमने नहीं बेटे चिराग पासवान ने कही थी. हम लोग बाबा साहेब अंबेडकर के अनुयायी हैं. बाबा साहेब ने कहा भी है कि सब लोग सम्मान के साथ रहो. जब सम्मान पर ठेस पहुंचती है, तो हम किसी के बंधुआ मजदूर तो नहीं हैं ना. हम किसी को छोड़ते नहीं हैं, किसी से नाराजगी भी नहीं रहती है.”
राहुल गांधी को विकल्प के तौर पर देख रहे हैं आप? इस सवाल के जवाब में पासवान ने कहा, “देखिए पर्सनली तो किसी नेता से कोई मनमुटाव नहीं रहता है लेकिन राजनीति में वैचारिक विरोध रहता है.” राहुल गांधी खुद जाकर लालू से मिल आए? इस पर पासवान ने कहा, “वो तो वोट की राजनीति कर रहे हैं कि सजायाफ्ता से जाकर मिल रहे हैं.”
बिहार में रामनवमी में जो हिंसा हुई, गिरिराज ने कुछ बोला, किसी और ने कुछ. उस पर आपका स्टैंड क्या है? इस पर पासवान ने कहा, “नेताओं को सोच समझकर बोलना चाहिए और प्रधानमंत्री का अनुकरण करना चाहिए. जब वो नहीं बोलते हैं तो छुटभइये नेता क्यों बोलते हैं.”
रामविलास पासवान का पूरा इंटरव्यू आप ‘सीधी बात ’ में देख सकते हैं, रविवार 6 मई, रात 8 बजे, ‘आजतक’ पर