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राज्यसभा की सदस्यता गई, न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे अली अनवर

राज्यसभा सदस्यता रद्द किए जाने के खिलाफ अली अनवर सुप्रीमकोर्ट जाएंगे. अनवर ने कहा कि इस फैसले से हम लोग डरने वाले नहीं है. संसदीय इतिहास में ये पहला फैसला है जहां राज्यसभा के सभापति ने खुद किया हो. जबकि इससे पहले जो फैसले हुए हैं वो प्रोविजिनल कमेटी, एथिक्स कमेटी के जरिए हुए हैं.

शरद यादव और अली अनवर शरद यादव और अली अनवर
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 05 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 12:27 PM IST

राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने जेडीयू के बागी नेता शरद यादव और अली अनवर की राज्यसभा सदस्यता को रद्द कर दिया है. राज्यसभा सदस्यता रद्द किए जाने के खिलाफ अली अनवर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. अनवर ने कहा कि इस फैसले से हम लोग डरने वाले नहीं है. संसदीय इतिहास में ये पहला फैसला है जहां राज्यसभा के सभापति ने खुद किया हो. जबकि इससे पहले जो फैसले हुए हैं वो प्रोविजिनल कमेटी, एथिक्स कमेटी के जरिए हुए हैं.

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अली अनवर ने कहा कि जो लड़ाई हम लड़ रहे हैं, उसके सामने राज्यसभा बहुत छोटी चीज  है. उनका कहना है कि उनकी लड़ाई पद की नहीं, सिद्धांत और संविधान बचाने की है.

उन्होंने शायरी के साथ अपना जवाब दिया और कहा- न मैं गिरा, न मेरे हौसले की मिनार गिरे. पर मुझे गिराने में कुछ लोग कई बार गिरे. उन्होंने कहा, 'नीतीश कुमार जब महागठबंधन से नाता तोड़कर अलग होकर बीजेपी से मिले, तो उस पूरी रात मै बेचैन रहा और रात भर सोया नहीं. दूसरे दिन पहली फुर्सत में बगावत का झंडा बुलंद कर दिया. कल जब मैं गुजरात के राजकोट में एक रैली को संबोधित कर रहा था, तो खबर मिली की मेरी राज्यसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई है. इस खबर के बाद कल पूरी रात चैन से सोया हूं.

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अली अनवर ने कहा कि मंगलवार को शरद यादव से गुजरात के भरूच में मुलाकात होगी और वहीं इस मामले पर विस्तार से बात होगी. उन्होंने कहा कि हमारी लड़ाई जनता के न्यायालय में होगी और अब जनता ही फैसला करेगी. हमें जनता पर पूरा भरोसा है.

अली अनवर ने कहा कि राज्यसभा की सदस्यता के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. इस संबंध में जो भी कानूनी लड़ाई हैं उसे लड़ेंगे. इसके अलावा उन्होंने कहा कि गुजरात और हिमाचल चुनाव में व्यस्त होने के कारण वो राज्यसभा के सभापति के सामने अपनी बात को आनन-फानन में रख पाएं हैं.

उन्होंने कहा कि ये भारतीय संसदीय व्यवस्था में पहला फैसला है, जिसे प्रोविजिनल कमेटी और एथिक्स कमेटी के बजाए खुद सभापति ने किया है. जबकि इससे पहले जो फैसले हुए हैं उसमें पहले मामले को विस्तार से समझने के लिए कमेटी के सामने रखा जाता है. उसके बाद ही सभापति फैसला करता हैं. लेकिन हमारे मामले में ऐसा नहीं किया गया हैं.

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले जेडीयू का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू से मुलाकात कर शरद यादव और अली अनवर की राज्यसभा सदस्यता को रद्द करने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि दोनों नेता पार्टी के खिलाफ काम कर रहे हैं और इसी वजह से उन दोनों की सदस्यता रद्द की जानी चाहिए. जेडीयू के इस मांग पर सुनवाई करने के बाद सोमवार को वेंकैया नायडू ने अपना फैसला सुनाया और दोनों नेताओं की राज्यसभा सदस्यता रद्द कर दी.

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दरअसल पिछले कुछ वक्त से शरद यादव और अली अनवर ने पार्टी के खिलाफ बागी तेवर दिखाए थे. जब से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ नई सरकार बनाई तब से ही शरद यादव और अली अनवर ने नीतीश के फैसले को पूरी तरह से गलत बताया था और कहा था कि बिहार में महागठबंधन जारी रहेगा. नीतीश कुमार के भाजपा के साथ गठबंधन करने के खिलाफ पिछले कुछ वक्त से शरद यादव बिहार का दौरा कर रहे हैं और जन समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं.

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