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जद (यू) के निशान को लेकर घमासान, चुनाव आयोग और नीतीश कुमार को नोटिस

जद (यू) नेता ने हाइकोर्ट में निर्वाचन आयोग के हाल ही में 25 नवंबर के दिए गए आदेश को चुनौती दी है. चुनाव आयोग ने अपने आदेश में कहा था कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गुट असली जदयू है और इसी लिए नीतिश कुमार को तीर का चिह्न आवंटित किया जा रहा है.

नीतीश कुमार-शरद यादव (फाइल) नीतीश कुमार-शरद यादव (फाइल)
रणविजय सिंह/पूनम शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 07 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 10:03 PM IST

जनता दल (यूनाइटेड) के शरद यादव गुट के नवनियुक्त अध्यक्ष के. राजशेखरन ने 'तीर' के चिह्न को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है. याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाइकोर्ट ने चुनाव आयोग और नीतीश कुमार को नोटिस भेजा है. चुनाव आयोग और नीतीश कुमार को अगले साल 18 फरवरी को हाइकोर्ट में होने वाली अगली सुनवाई से पहले अपना जवाब कोर्ट में दाखिल करना होगा. इससे पहले हाइकोर्ट में बुधवार को इस मामले की सुनवाई टाल दी थी, क्योंकि सुनवाई के दौरान राजशेखरन की ओर से पक्ष रखने के लिए वकील कोर्ट में मौजूद नहीं थे.

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जद (यू) नेता ने हाइकोर्ट में निर्वाचन आयोग के हाल ही में 25 नवंबर के दिए गए आदेश को चुनौती दी है. चुनाव आयोग ने अपने आदेश में कहा था कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गुट असली जदयू है और इसी लिए नीतिश कुमार को तीर का चिह्न आवंटित किया जा रहा है. नीतीश के इसी साल जुलाई में भाजपा से हाथ मिलाने के बाद शरद यादव नीतीश कुमार से अलग हो गए थे.  

इसके बाद से ही दोनों के बीच पार्टी पर अपने अधिकार को लेकर लड़ाई चल रही है. शरद यादव गुट इससे पहले निर्वाचन आयोग के 17 नवंबर के आदेश के खिलाफ हाइकोर्ट पहुंचा था. जिसमें आयोग ने नीतिश कुमार के गुट वाली जद (यू) के पक्ष में फैसला दिया था, लेकिन उसने इस फैसले को देने के कारण नहीं बताए थे. राजशेखरन ने अपनी याचिका में हाई कोर्ट से चुनाव आयोग के 25 नवंबर के फैसले को तुरंत रद्द करने की मांग की है.

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इससे पहले की याचिका दिल्ली हाइकोर्ट में गुजरात विधायक छोटू भाई वसावा की तरफ से दायर की गई थी, जोकि उस समय यादव गुट के कार्यकारी अध्यक्ष थे. नीतिश कुमार गुट ने कोर्ट को बताया कि उनकी पार्टी के सभी सदस्यों ने पहले ही तीर चिह्न के साथ आवेदन किया है, जिसे चुनाव आयोग ने अनुमति दी है. जबकि यादव गुट ने दावा किया नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव के साथ गठबंधन तोड़कर पार्टी के संसदीय समिति के फैसले का सीधा उल्लंघन किया है.

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