
प्रधानमंत्री मोदी के पटना दौरे से पहले बीजेपी के दिग्गज नेता और पटना साहिब से सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने कार्यक्रम में खुद को न बुलाए जाने पर सीधे पीएमओ पर ऊंगली उठाई. आजतक को दिए गए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में सिन्हा ने कहा कि कुछ लोग उनके दमदार कद और लोकप्रिय छवि से घबराते हैं. यही कारण है कि उनको बुलाया नहीं जाता. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 अक्टूबर को पटना विश्वविद्यालय के स्वर्ण शताब्दी समारोह में हिस्सा लेंगे. पेश हैं शत्रुघ्न सिन्हा से इस खास बातचीत के प्रमुख अंश-
देश का मिजाज बदल रहा है
जनता का मूड बदल रहा है. जीएसटी, उससे पहले नोटबंदी, फिर अर्थव्यवस्था का जो हाल है और बेरोजगारी से लेकर तमाम मसलों पर जनता का मिज़ाज़ बदल रहा है. यशवंत सिन्हा ने सरकार को आईना दिखाया तो यह हमारी पार्टी के हित में था. यह हमारे देश हित में था पर उनकी बात को गलत ढंग से लिया गया.
दो हाथियों की लड़ाई में मैं घास नहीं बनना चाहता
शैल्य, दुशासन या दुर्योधन पर टिप्पणी न करते हुए शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि यह तो दो बड़े लोगों की लड़ाई है और दो हाथियों की लड़ाई में घास नहीं बनना चाहता. पर हमारे वित्त मंत्री जी ने ऐसी बात कही कि यशवंत सिन्हा नौकरी मांग रहे हैं. क्या उनको पता नहीं कि यशवंत सिन्हा 7 बार देश का बजट पेश कर चुके हैं. वह इतने ज्ञानी हैं कि अभी कुछ लोगों को कई जन्म लेना पड़ेगा, उनकी तरह बनने के लिए. सरकारी नौकरी उन्होंने छोड़ दी, उनके 14 साल बाकी थे. उन्होंने कौन-सी नौकरी के लिए अप्लाई किया एक बार कागज-पत्र तो दिखाइए.
सच कहो तो मंशा पर सवाल उठाए जाते हैं
कई बार मुझ पर भी सवाल उठाए जाते हैं कि इनको मंत्री नहीं बनाया गया, इसलिए वह इस तरह की बात कर रहे हैं. यह लोग जो कह रहे हैं इनके पास कोई चारा नहीं है. पहली बात तो यह कि आखिर मंत्री मुझे क्यों नहीं बनाया? क्या मेरा परफॉर्मेंस खराब है? क्या छवि खराब है? क्या कोई भ्रष्टाचार का आरोप लगा है?
देश का संतरी बनना चाहता हूं
अगर मुझे मंत्री बनना होता तो मैं चुप रहता. न इच्छा है, न अपेक्षा है मंत्री बनने की. भाजपा मेरी पहली और आखिरी पार्टी है. हां यह जरूर है कि जो पार्टी हित में,देश हित में होगा, वह जरूर बोलूंगा. चाहे मंत्री बनूं या न बनूं प्रदेश का संतरी जरूर बनूंगा.
बिहार में बिहारी बाबू को नहीं बुलाया जाता
वे बार-बार उपेक्षा करते हैं. यह तो बहुत पुरानी बात हो गई है, पहली बार नहीं हो रहा है. मुझे शताब्दी समारोह में पटना नहीं बुलाया गया. नेता से लेकर विधायक, मंत्री सब आते हैं, सिर्फ मुझे न निमंत्रण न आमंत्रण.
कुछ लोग मेरे दमदार कद से घबराते है
दरअसल कुछ लोगों की घबराहट और बौखलाहट है. न ही मुझे कोई सजा नहीं मिल रही, दरअसल मेरे पास कोई पद तो है नहीं, कुछ लोग मेरे कद से घबराते हैं, क्योंकि मेरा कद बहुत दमदार है. मेरी लोकप्रियता और मेरी छवि से घबराते हैं. एक साफ-सुथरी छवि है. मैं एक अच्छा वक्ता हूं. कुछ नादान लोग हैं जिनको लगता है कि अगर में मौजूद रहूंगा तो सारा आकर्षण ले जाऊंगा, मैं टावरिंग पर्सनॉलिटी बन जाऊंगा. उनको लगता है कि इन्हें दूर रखो.
मैं जाने के लिए तैयार था
हमारे प्रधानमंत्री पटना यूनिवर्सिटी जा रहे हैं. मेरा टिकट भी बुक था, मैं सोच रहा था कि जाऊंगा. पटना यूनिवर्सिटी की हालत इतनी खराब है. यह खुशी की बात है कि पीएम वहां जा रहे हैं. मुझे बोला गया आप तो बहुत मशहूर है, आप मंच पर नहीं बैठेंगे, पीएमओ ने मना कर दिया है.
अब देखिए इससे पहले भी वीसी साहब मेरे पास आए थे और उन्होंने कहा था कि हमें आपका मार्गदर्शन चाहिए. तो मैंने उनको कहा कि मैं मार्गदर्शक मंडल में नहीं हूं, वह तो दिल्ली में है, इसके बावजूद भी चलिए मैं आपकी मदद करूंगा. बाद में वीसी साहब ने न्योता नहीं भेजा. अब मैं अछूत तो नहीं हूं, मैं धरतीपुत्र हूं बिहार का.