
यूपी के प्राइमरी स्कूलों में शिक्षामित्रों को एडजस्ट करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की रोक के बाद शिक्षामित्रों की सदमे से मौत या सुसाइड के मामले सामने आ रहे हैं. अब तक 6 शिक्षामित्रों की मौत की खबर आई है. दूसरी ओर यूपी सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने जा रही है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शनिवार को सरकार के इस फैसले पर रोक लगा दी कि शिक्षामित्रों की बतौर सहायक अध्यापक तैनाती की जाए. उधर राज्य के मुख्य सचिव आलोक रंजन का कहना है कि सरकार हाईकोर्ट के फैसले के तमाम कानूनी पक्ष का अध्ययन कर रही है.
इस बीच यूपी के तमाम जिलों से कोर्ट के फैसले के खिलाफ शिक्षामित्रों के विरोध प्रदर्शन की खबरें आ रही हैं. कुछ जिलों से शिक्षामित्रों की मौत की खबर भी आई है.
कन्नौज
यहां प्राइमरी स्कूल जनखत में तैनात शिक्षामित्र बाबू सिंह ने फांसी लगाकर सुसाइड किया.
गाजीपुर
शिक्षामित्र ने सल्फास की गोली खाकर की खुदकुशी.
लखीमपुर खीरी
फूलबेहड़ ब्लॉक के शिक्षामित्र ने जहर खाकर की आत्महत्या.
बस्ती
यहां के भानपुर में एक शिक्षामित्र को कोर्ट के फैसले के बाद सदमा लगा. दिमाग की नस फटने से मौत हुई.
एटा
शिक्षामित्र महिपाल सिंह ने खुद को गोली मारकर दी जान.
मिर्जापुर
यहां एक शिक्षामित्र के फंदे से लटककर आत्महत्या करने की सूचना है, मगर इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है.
गौरतलब है कि यूपी के प्राइमरी स्कूलों में तैनात एक लाख 75 हजार शिक्षामित्र टीचरों का अप्वाइंटमेंट हाईकोर्ट ने कैंसिल कर दिया है. हाईकोर्ट में शनिवार को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की डिवीजन बेंच ने यह ऑर्डर दिया. बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस दिलीप गुप्ता और जस्टिस यशवंत वर्मा थे. इनके अप्वाइंटमेंट का आदेश बीएसए ने साल 2014 में जारी किया था.
शिक्षामित्रों को अप्वाइंट करने को लेकर वकीलों ने कहा था कि इनकी भर्ती अवैध है. जजों ने प्राइमरी स्कूलों में शिक्षामित्रों की तैनाती बरकरार रखने और उन्हें असिस्टेंट टीचर के रूप में एडजस्ट करने के मुद्दे पर पक्ष और विपक्ष के वकीलों की दलीलें कई दिन तक सुनीं.
हाईकोर्ट ने कहा, 'चूंकि ये टीईटी पास नहीं हैं, इसलिए असिस्टेंट टीचर के पदों पर इन्हें अप्वॉइंट नहीं किया जा सकता.' शिक्षामित्रों की तरफ से वकीलों ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने नियम बनाकर इन्हें एडस्ट करने का फैसला लिया है, इसलिए इनके अप्वाइंटमेंट में कोई कानूनी दिक्कत नहीं है. यह भी कहा गया कि शिक्षामित्रों का चयन प्राइमरी स्कूलों में टीचरों की कमी दूर करने के लिए किया गया है.
क्या कहते हैं शिक्षामित्र...
सोनभद्र में शिक्षामित्र पीएस खराटिया ने बताया, 'हाईकोर्ट का फैसला सुनने के बाद ऐसा लगा, जैसे मेरी जान चली गई. कोर्ट का ये फैसला लंबे अरसे से रोजगार की आस लगाए बैठे शिक्षामित्रों पर कहर बनकर टूटा है. अप्वॉइंटमेंट कैंसिल होने से परेशानियां बढ़ गई हैं.' वहीं, लखनऊ की शिक्षामित्र सुजाता का कहना है, 'कई साल से सहायक टीचर बनने की उम्मीद लगा रखी थी. कोर्ट के फैसले ने इसे एक पल में तोड़ दिया.'