
शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के जरिए बीजेपी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस पर सीधा हमला किया है. 'सामना' के संपादकीय में लिखा है कि 31 मार्च, 2017 तक 500 और 1000 के नोट रिजर्व बैंक में बदलने की पीएम नरेंद्र मोदी की घोषणा के बावजूद आरबीआई ने इसे मानने से इनकार कर दिया है.
इसलिए नोट बदलवाने आई एक गरीब महिला गुस्से में निर्वस्त्र हो गई. गेट पर खड़े सुरक्षाकर्मी ने उसे धक्का दिया, तो महिला फूट-फूट कर रोने लगी. इसमें सीएम फडनवीस से सवाल किया गया है कि वे नोटबंदी के समर्थन में है या न्याय की मांग में रोड पर रोनेवाली महिला के साथ हैं.
लेख में लिखा गया है कि अगर उस महिला की पीड़ा अगर सरकार को समझ ना आई हो, तो इससे निर्मम सरकार पिछले 10 हजार वर्षों में नहीं आई होगी. एक अबला खुलेआम सड़क पर कपड़े उतारकर सरकार को बहिष्कृत करती है. यह भी दिल्ली की सड़क पर घटित 'निर्भया कांड' जैसा ही है.
'सामना' में कहा गया है कि महिलाओं की दबी हुई सिसकियां और आक्रोश को इस निर्भया ने सड़क पर ला दिया है. महिला निर्वस्त्र हुई इसे आप देशभक्ति ही कहने वाले होंगे तो आपके दिमाग की जांच करने के लिए तालिबानी डॉक्टर को ही बुलाना पड़ेगा. महिलाओं पर इस तरह के अत्याचार सिर्फ तालिबानी शासन में ही हो सकते हैं.
शिवसेना ने सीएम से सवाल किया है कि वे भ्रष्टाचार के समर्थन में हैं या भ्रष्टाचार से मुक्ति के पक्ष में हैं. शिवसेना के मुताबिक काला धन रखने वालों के नोट रद्दी होना बीजेपी सत्ताधीशों का भ्रम है. सच्चाई ये है कि नोटबंदी के कारण आम जनता और गृहणियों की बचत रद्दी हुई है.
शिवसेना ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए सवाल किया है कि नोटबंदी से हुई आर्थिक अराजकता से आपके पेट और छाती में पीड़ा क्यों नहीं होती. लेख में लिखा गया है, 'नोटबंदी के कारण सड़क पर निर्वस्त्र होने की नौबत जिस महिला पर आई, उस महिला के लिए सहानुभूति के दो शब्द बोल दो. वह संभव ना हो तो देशभक्ति की गपबाजी बंद करो.'