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मुलायम के दांव पर साइलेंट हुए शिवपाल, दशहरा बाद करेंगे सियासी धमाका?

शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के सहारे अपने सियासी वजूद को पाने और अखिलेश यादव को राजनीतिक ठिकाने लगाने की लड़ाई लड़ रहे थे. पर मुलायम सिंह ने पुत्रमोह में ऐसा कदम उठाया कि शिवपाल के सारे अरमानों पर पानी फिर गया. इसके बाद शिवापल पूरी तरह से साइलेंट मोड में नजर आ रहे हैं.

सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 26 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 3:47 PM IST

शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के सहारे अपने सियासी वजूद को पाने और अखिलेश यादव को राजनीतिक ठिकाने लगाने की लड़ाई लड़ रहे थे. पर मुलायम सिंह ने पुत्रमोह में ऐसा कदम उठाया कि शिवपाल के सारे अरमानों पर पानी फिर गया. इसके बाद शिवापल पूरी तरह से साइलेंट मोड में नजर आ रहे हैं.

मुलायम ने शिवपाल को दिया गच्चा

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शिवपाल मुलायम के सहारे अखिलेश को मात देने की कोशिश कर रहे थे. इस कड़ी में नई पार्टी की पूरी स्क्रिप्ट लिखी जा चुकी थी, जिसे सोमवार को मुलायम सिंह यादव को सिर्फ पढ़ना था. नेताजी जब प्रेस कांफ्रेंस करने उतरे तो शिवपाल के अरमानों पर पानी फेर दिया. उन्होंने नई पार्टी वाला पेज पढ़ा ही नहीं. मुलायम सिंह ने अलग पार्टी बनाने से साफ इनकार भी कर दिया

दशहरे के बाद दीपावली के पहले शिवपाल करेंगे धमाका

शिवपाल के करीबी सूत्र बताते हैं कि शिवपाल की खामोशी को कमजोरी न समझी जाए. मुलायम के इस दांव के बाद शिवपाल अपनी आगे की लड़ाई नेताजी के सहारे लड़ने के बजाए अपने बलबूते पर लड़ने का फैसला किया है. दशहरा के बाद और दीपावली से पहले बड़ा धमाका करेंगे. शिवपाल राम बनकर दशहरे में रावण का वध करेंगे और राजनीतिक बनवास को खत्म करेंगे, फिर कहीं दीपावली मनाई जाएगी.

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शिवपाल नई रणनीति बनाकर लड़ेंगे आगे लड़ाई

सूत्रों के मुताबिक शिवपाल यादव अखिलेश को राजनीतिक सबक सिखाने के लिए नई रणनीति के साथ आगे बढ़ेंगे. शिवपाल नेताजी के बजाए अपने बलबूते पर आगे की लड़ाई लड़ने की रणनीति बनाई है. शिवपाल यादव अखिलेश विरोधी समाजवादी नेताओं को पहले जोड़ेंगे और उन्हें एकजुट करके आगे की लड़ाई का ऐलान करेंगे. सूत्रों का कहना है नई पार्टी तो बनेगी ही भले ही नेताजी का साथ न रहे.

चाचा-भतीजे में शह-मात

अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच पिछले एक साल से शह-मात का खेल चल रहा है. विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश ने चाचा रामगोपाल यादव के साथ मिलकर शिवपाल यादव को ठिकाने लगाया. पार्टी की कमान अपने हाथों में ले ली. अखिलेश ने चुनाव के बाद संगठन से शिवपाल समर्थकों को बाहर का रास्ता भी दिखा दिया. पार्टी अब पूरी तरह से अखिलेशमय हो चुकी है. अब सबकी निगाहें शिवपाल के अगल कदम पर होगी.

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