
दिल्ली में बीते एक सप्ताह के भीतर कई बाजारों में दुकाने सील करने को लेकर एमसीडी की एक बड़ी कार्यवाही दिखायी दी है. ये कार्यवाही व्यापारियों द्वारा कन्वर्जन शुल्क न देने के कारण हुई है. इसी को लेकर दिल्ली के तमाम व्यापारी संघ की शुक्रवार को मीटिंग हुई. इस मीटिंग का निष्कर्ष ये निकला कि दिल्ली में दुकाने सीलिंग को लेकर अगर सरकार ने व्यापारियों की मांग नहीं मानी तो व्यापारी सड़कों पर उतरेंगे और प्रदर्शन करेंगे. कई व्यापारियों का ये भी कहना था कि सरकार का काम बस व्यापारियों को परेशान करने का है. कभी नोटबंदी, कभी जीएसटी तो अब ये कन्वर्जन शुल्क.
सीटीआई (चेम्बर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री ) की मीटिंग में कई अहम फैसले लिए गए. दिल्ली के अलग-अलग बाजारों के असोसिएशन के अध्यक्ष ने मिलकर 20 लोगों की एक कमेटी बनाई है. ये कमेटी ही अब दिल्ली सरकार और एमसीडी से बातचीत करेगी. अगर बात नहीं बनती है तो व्यापारी सड़कों पर उतरेंगे.
एमसीडी बताए दस साल में कितना कन्वर्जन शुल्क वसूला ?
सीटीआई के कन्वीनर ब्रजेश का कहना है की हमने आरटीआई के द्वारा एमसीडी से पूछा है की पिछले दस सालों में आपने किस बाज़ार से कितना कन्वर्जन शुल्क लिया. एमसीडी ने व्यापारियों द्वारा वसूले गए शुल्क का उपयोग क्या बाजार के उद्धार के लिए किया? ये सवाल हमने एमसीडी से पूछे है.
ब्रजेश ने कहा, क्योंकि अगर हम शुल्क दे रहे हैं तो ये हमारा जानने का हक है कि हमारा दिया हुआ पैसा कितना जमा हुआ और क्या हमारे लिए उस पैसे का इस्तेमाल हुआ. वहीं, सबसे पहले एमसीडी को कहेंगे कि सीलिंग करने से पहले वो व्यापारियों को नोटिस दे कि यहां सीलिंग होगी. ये तरीका गलत है कि सीधे गए और दुकान सील कर दी.
अगर व्यापारियों की बात नहीं मानी तो सड़क पर उतर कर प्रदर्शन करेंगे. अब ये देखना होगा कि एमसीडी इस मामले को किस तरह सुलझाती है. क्योंकि अगर व्यापारी सड़क पर आए तो दिल्ली की हालत खराब हो सकती है. व्यापार ठप होने के चलते करोड़ों रुपए का नुकसान हो सकता है.