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कांग्रेस से भावी रिश्ते को लेकर बंटी CPM, 2019 चुनाव की रणनीति पर कोलकाता में मंथन

बता दें कि इस साल अप्रैल में हैदराबाद में सीपीएम की बैठक होने जा रही है. कोलकाता में हो रही पार्टी सेंट्रल कमेटी की बैठक में राजनीतिक प्रस्ताव के ड्राफ्ट को अंतिम रूप दिया जाएगा. इसे बैठक पूरी होने के बाद जारी किया जाएगा.

सीताराम येचुरी सीताराम येचुरी
इंद्रजीत कुंडू
  • कोलकाता,
  • 19 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 11:18 PM IST

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की सेंट्रल कमेटी की अहम बैठक शुक्रवार को कोलकाता में शुरू हुई. तीन दिन तक चलने वाली इस बैठक में पार्टी 2019 लोकसभा चुनाव से पहले अपनी भावी रणनीति पर फैसला लेगी. बैठक में पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी, पोलितब्यूरो सदस्य प्रकाश करात, केरल के सीएम पी. विजयन और त्रिपुरा के सीएम माणिक सरकार भी हिस्सा ले रहे हैं.

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बता दें कि इस साल अप्रैल में हैदराबाद में सीपीएम की बैठक होने जा रही है. कोलकाता में हो रही पार्टी सेंट्रल कमेटी की बैठक में राजनीतिक प्रस्ताव के ड्राफ्ट को अंतिम रूप दिया जाएगा. इसे बैठक पूरी होने के बाद जारी किया जाएगा. ऐसा इसलिए किया जाएगा कि हैदराबाद में इसे मंजूर किए जाने से पहले इस पर सार्वजनिक स्तर पर और पार्टी में अंदरूनी तौर पर व्यापक मंत्रणा की जा सके. वैसे पार्टी में राजनीतिक प्रस्ताव के ड्राफ्ट को लेकर साफ मतभेद नजर आ रहे हैं.  

सीपीएम की टॉप लीडरशिप इस बात पर तो एकमत है कि उनका मुख्य उद्देश्य केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी और अन्य साम्प्रदायिक ताकतों को हराना है. लेकिन इस लक्ष्य को किन रास्तों पर चल कर हासिल किया जाए, इसे लेकर पार्टी के शीर्ष नेता एकराय नहीं है.   

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मोटे तौर पर पार्टी राजनीतिक प्रस्तावों के दो ड्राफ्ट को लेकर बंटी नजर आ रही है. एक को पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी वाली लॉबी का समर्थन हासिल है. वहीं दूसरे ड्राफ्ट के पीछे पार्टी के पूर्व महासचिव प्रकाश करात की लॉबी बताई जाती है. अधिक व्यावहारिक माने जाने वाले येचुरी के पीछे पार्टी के बंगाल नेताओं का हाथ माना जाता है. वहीं हार्डलाइनर माने जाने वाले करात को पार्टी की केरल लीडरशिप का समर्थन हासिल माना जाता है.

सीपीएम ने 2015 में विशाखापट्टनम में हुई अपनी कांग्रेस में तय किया था कि पार्टी बीजेपी और कांग्रेस, दोनों से ही समान दूरी बना कर चलेगी. लेकिन अब देखना है कि पार्टी केंद्र से बीजेपी को बाहर करने के लिए नए 'वैकल्पिक' लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट के हिस्से के तौर पर अन्य सेक्युलर पार्टियों से सहयोग या किसी तरह की सहमति बनाने के सवाल पर क्या 'रणनीतिक लाइन' लेती है. जहां प्रकाश करात और एस.आर पिल्लई जैसे हार्डलाइनर किसी भी 'सहमति या गठबंधन' के सख्त खिलाफ हैं वहीं येचुरी समर्थित ड्राफ्ट जमीनी स्थितियों को देखते हुए इस विचार को खारिज नहीं करता.      

हालांकि सीपीएम अंतिम तौर पर जो भी तय करती है उससे पार्टी के कांग्रेस से भावी रिश्ते पर सीधा असर होगा. ये तय है कि येचुरी के वैकल्पिक प्लान का कांग्रेस अहम हिस्सा है. 2016 पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में सीपीएम ने कांग्रेस के साथ औपचारिक गठबंधन तो नहीं किया था लेकिन रणनीतिक सहमति जरूर बनाई थी.

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बीते दिसंबर में सीपीएम पोलितब्यूरो की बैठक में पार्टी के दोनों पक्षों ने सभी मतभेद सुलझाने पर सहमति जताई थी जिससे कि पार्टी की सेंट्रल कमेटी के सामने साझा ड्राफ्ट पेश किया जा सके. सभी की नजरें कोलकाता की इस अहम बैठक पर हैं. अब देखना होगा कि कहीं पार्टी में राजनीतिक प्रस्ताव के ड्राफ्ट को लेकर वोटिंग की नौबत तो नहीं आती?

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