
अलग खालिस्तान की मांग के समर्थन में 2020 में जनमत संग्रह कराने के लिए सोशल मीडिया पर जमकर प्रोपेगैंडा फैलाया जा रहा है. खुफिया एजेंसियों ने यह जानकारी केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट में दी है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ''पंजाब रेफरेंडम 2020'' शीर्षक से करीब एक दर्जन वॉट्सऐप ग्रुप के जरिये प्रोपेगैंडा फैलाया जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक इन वॉट्सऐप ग्रुप में करीब 2000 मोबाइल नंबर जुड़े हैं. ये ग्रुप गुरपतवंत सिंह उर्फ पुन्नम, मन सिंह खालसा और परमजीत सिंह पम्मा के जरिये बनाए गए हैं.
जानकारी के मुताबिक ''पंजाब रेफरेंडम 2020'' से जुड़े प्रोपैगैंडा को कई सोशल साइट पर सर्कुलेट भी किया जा रहा है. यही नहीं, खुफिया सूत्रों ने आजतक को जानकारी दी है कि गुरपतवंत सिंह, मन सिंह खालसा और परमजीत सिंह पम्मा रेफरेंडम 2020 के वेब पेज बनाकर स्वायत्त खालिस्तान का एजेंडा परोस रहे हैं.
सूत्रों के मुताबिक़ ख़ुफ़िया एजेंसियों ने अपनी जो रिपोर्ट केंद्र सरकार को दी है उसमें बताया है कि dailysikhupdates.com, sikh24.com, crowdfunder.co.uk, Panjabspectrum.com, sikhsangarsh.com, sikhsiyasat.net वेब पेज के साथ साथ कई रेफरेंडम 2020 से जुड़े फेसबुक पेज भी बना रखा है. इसका मकसद पंजाब के लोगों को भड़काना है.
अगस्त में स्वायत्त खालिस्तान की मांग को लेकर लंदन में एक बड़ी रैली भी हो रही है. इस रैली को 'लंदन डेक्लरेशन' का नाम दिया गया है. इसमें ब्रिटेन, यूरोप और अमेरिका से बड़ी संख्या में सिखों के आने का दावा किया जा रहा है. रैली का आयोजन करने वाले 'द सिख फॉर जस्टिस' संगठन जनमत संग्रह-2020 से पूरे विश्व में रहने वाले तीन करोड़ सिखों के बीच जाने की कोशिश में है. इसके लिए बड़े स्तर पर सोशल मीडिया का सहारा लिया जा रहा है. सूत्रों के मुताबिक ऐसी साइट्स और वेब पेज पर नजर रखी जा रही है.
लुधियाना से कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने सरकार से मांग रखी कि इनको विदेशों में बैठकर फंडिंग कहां से मिलती है, इसकी जांच देश के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री करवाएं. वहीं सुब्रमण्यम स्वामी ने रेफरेंडम 2020 को लेकर यह कहा है कि सोशल मीडिया पर चाहे जितना कैंपेन कर लें, हम एंटी कैंपेन सोशल मीडिया चला सकते हैं. इसका मतलब यह है कि खालिस्तानी मूवमेंट पूरी तरीके से कमजोर हो रहा है. मेरा यह मानना है कि खालिस्तानी मूवमेंट अब आगे नहीं बढ़ पाएगा और इसका कोई असर नहीं होगा.