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सुप्रीम कोर्ट की दो टूक, सभी क्रिकेट संघ करें लोढ़ा समिति की सिफारिशों का पालन

सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को स्पष्ट कर दिया कि सभी राज्य क्रिकेट संघों को मैच फिक्सिंग और स्पॉट फिक्सिंग आरोपों के चलते बीसीसीआई में ढांचागत सुधारों पर बनी न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा नीत समिति की सिफारिशों का पालन करना होगा.

अमित कुमार दुबे/BHASHA
  • नई दिल्ली,
  • 03 मई 2016,
  • अपडेटेड 12:19 AM IST

सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को स्पष्ट कर दिया कि सभी राज्य क्रिकेट संघों को मैच फिक्सिंग और स्पॉट फिक्सिंग आरोपों के चलते बीसीसीआई में ढांचागत सुधारों पर बनी न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा नीत समिति की सिफारिशों का पालन करना होगा. प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि बीसीसीआई में एक बार सुधार होता है तो यह सबमें होगा और अगर सभी क्रिकेट संघ इससे जुड़े रहना चाहते हैं तो उन्हें खुद में सुधार लाना होगा. मैच फिक्सिंग और स्पॉट फिक्सिंग आरोपों के चलते समिति का गठन गंभीर कवायद का हिस्सा थी हल्की बात नहीं.

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हरियाणा क्रिकेट संघ ने उठाए सवाल
पीठ ने कहा कि बीसीसीआई में सुधार की सिफारिशें विशेषज्ञों की समिति ने पक्षों के साथ गहन विचार विमर्श के साथ की और निष्कर्ष को केवल सिफारिशें नहीं कहा जा सकता. इस पीठ में न्यायमूर्ति एफएमआई कलीफुल्ला भी शामिल थे. पीठ ने लोढ़ा समिति की सिफारिशों पर आपत्ति जताने वाले हरियाणा क्रिकेट संघ से कहा कि अगर हम कहते हैं कि इन्हें लागू करना है तो यह केवल सिफारिशें नहीं रहेंगी. इन्हें सिफारिश इसलिए कहा गया है क्योंकि समिति के कुछ निष्कर्ष विचार विमर्श के समय ही बीसीसीआई की ओर लागू कर दिए गए और कुछ को लागू नहीं किया गया है. पीठ ने कहा कि हम इस विषय की सुनवाई कर रहे हैं क्योंकि हम देख रहे हैं कि जो सिफारिशें लागू नहीं हुई हैं वे लागू की जा सकती हैं या नहीं.

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दिखावे के लिए अब तक हुए कई बदलाव
हरियाणा क्रिकेट संघ की ओर से पेश वकील ने कहा कि लोढ़ा समिति के निष्कर्ष केवल सिफारिशें हैं और इनमें से कुछ को क्रिकेट संघों द्वारा लागू करना संभव नहीं है. पीठ ने कहा कि न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा समिति ने कहा है कि जो कुछ किया गया है वह केवल दिखावा है और जरूरत केवल दिखावे वाले सुधारों की नहीं है बल्कि इससे ज्यादा की है. शीर्ष अदालत ने पदाधिकारियों के लिए 70 साल की अधिकतम उम्र की सीमा पर आपत्ति जताने पर हरियाणा क्रिकेट संघ की खिंचाई की और कहा कि क्या क्रिकेट संघों के कुछ पदाधिकारी सोचते हैं कि वे अपरिहार्य हैं. इस पर वकील ने कहा कि लोढ़ा समिति की कुछ सिफारिशों पर आपत्तियों को समिति के निष्कर्ष की आलोचना के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए.

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