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सैटेलाइट की सेंचुरी के बाद चांद, मंगल, शुक्र पर ISRO की नजर

2008 में चंद्रयान-I मिशन की कामयाबी के बाद अब इसरो के वैज्ञानिक चंद्रयान-II की तैयारी में जुटे हैं. पिछले मिशन में चांद की कक्षा का चक्कर लगाने वाला उपग्रह यानी ऑर्बिटर छोड़ा गया था. इस बार वैज्ञानिक ऑर्बिटर के साथ चांद पर रोवर उतारने की भी कोशिश करेंगे.

चांद, शुक्र, मंगल पर मिशन भेजने की तैयारी में इसरो चांद, शुक्र, मंगल पर मिशन भेजने की तैयारी में इसरो
सबा नाज़
  • नई दिल्ली ,
  • 15 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 1:08 PM IST

अंतरिक्ष में सैटेलाइट की सेंचुरी लगाने वाले ISRO के लिए सितारों से आगे जहां और भी हैं. एक साथ 104 उपग्रहों की लॉन्चिंग से अपनी धाक जमाने के बाद अब देश को इंतजार है इसरो की अगली कामयाबियों का. आपको बताते हैं अब क्या हैं इसरो के इरादे?

चलें चांद की ओर!
2008 में चंद्रयान-I मिशन की कामयाबी के बाद अब इसरो के वैज्ञानिक चंद्रयान-II की तैयारी में जुटे हैं. पिछले मिशन में चांद की कक्षा का चक्कर लगाने वाला उपग्रह यानी ऑर्बिटर छोड़ा गया था. इस बार वैज्ञानिक ऑर्बिटर के साथ चांद पर रोवर उतारने की भी कोशिश करेंगे. कामयाब रहने पर ये रोवर चांद की मिट्टी और चट्टान के नमूनों की जांच करने के बाद जानकारी भेजेगा. करीब 603 करोड़ रुपये के इस मिशन में रूस की स्पेस एजेंसी भी भारत की मदद कर रही है. उम्मीद है कि चंद्रयान-II साल 2018 में चांद की ओर रवाना होगा.

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फिर जाएंगे मंगल!
भारत के मंगलयान मिशन की दुनिया भर में तारीफ हुई थी. इस बार के बजट के दस्तावेजों के अध्ययन से पता चला है कि सरकार ने मंगलयान-II मिशन को भी मंजूरी दे दी है. मिशन के साल 2021-22 तक पूरा होने की उम्मीद है. इस बार वैज्ञानिकों की कोशिश मंगल ग्रह की सतह पर रोबोट उतारने की होगी. मंगलयान-I मिशन के तहत सैटेलाइट को मंगल की कक्षा में स्थापित किया गया था. पिछला मिशन पूरी तरह भारत में विकसित किया गया था. लेकिन मंगलयान-II के लिए फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसी ने भी मदद की पेशकश की है.

पिछले मार्स मिशन का बड़ा मकसद इसरो की काबिलियत साबित करना था. इस बार वैज्ञानिक चाहते हैं कि इसरो का रोबोट मंगल ग्रह पर पुख्ता वैज्ञानिक परीक्षण करे.

शुक्र ग्रह की होगी सैर
मंगल के अलावा इसरो के वैज्ञानिकों की नजर शुक्र ग्रह पर भी टिकी है. विशेषज्ञ शुक्र ग्रह पर स्पेस मिशन को खासा अहम मानते हैं क्योंकि धरती के बेहद करीब होने के बावजूद इस ग्रह के बारे में बेहद कम जानकारी उपलब्ध है. हालांकि शुक्र ग्रह का मिशन महज ऑर्बिटर भेजने तक सीमित हो सकता है. अब तक सिर्फ अमेरिका, रूस, यूरोपीय स्पेस एजेंसी और जापान ही शुक्र ग्रह तक कामयाब मिशन लॉन्च कर पाए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल में विज्ञान और तकनीक को खास तवज्जो देने का ऐलान किया है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस बार के बजट में अंतरिक्ष विभाग का बजट 23 फीसदी बढ़ाया है.

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