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स्वामी के राम मंदिर पुनर्निर्माण की याचिका पर सुनवाई को SC तैयार

बीजेपी नेता स्वामी ने इस ओर नई याचिका दायर कर कहा था कि राम मंदिर का पुर्ननिर्माण उसी जगह किया जाए, जहां राम का जन्म हुआ था.

नई दिल्ली स्थ‍ित सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली स्थ‍ित सुप्रीम कोर्ट
स्‍वपनल सोनल
  • नई दिल्ली,
  • 26 फरवरी 2016,
  • अपडेटेड 8:12 PM IST

देश की सर्वोच्च अदालत ने अयोध्या में राममंदिर के पुनर्निर्माण की बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की अर्जी को मुख्य मामले के साथ जोड़ दिया है. अदालत ने कहा कि इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में ही सिविल याचिका पर सुनवाई लंबित है. ऐसे में इस याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकती.

बता दें कि बीजेपी नेता स्वामी ने इस ओर नई याचिका दायर कर कहा था कि राम मंदिर का पुर्ननिर्माण उसी जगह किया जाए, जहां राम का जन्म हुआ था. साल 1994 में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट मे हलफनामा दाखिल कर कहा था कि अगर साबित हो जाए कि मंदिर यहीं था तो मंदिर बनाएंगे. जबकि ASI ने कहा है कि राम मंदिर के अवशेष मिले हैं.

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नरसिम्हा राव सरकार के हलफनामे का हवाला
गौरतलब है कि कोर्ट के इस रुख के बाद अब स्वामी की याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर अपील के साथ सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया स्वामी इस मामले में दाखिल की गई अपीलों की सुनवाई के दौरान ही अपनी बात रखें. स्वामी ने अपनी पिटीशन में 1994 की नरसिम्हा राव सरकार के हलफनामे का हवाला देते हुए राम मंदिर बनाए जाने की मांग की है.

'मस्जि‍दों को शिफ्ट किया जाता रहा है'
सुब्रमण्यम स्वामी ने सोमवार को अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण के संबंध में CJI की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने याचिका दर्ज की है. इसमें कहा गया है कि सड़क बनाने जैसे जनता से जुड़े मुद्दों को लेकर कई इस्लामी देशों में मस्जिदों को शिफ्ट किया जाता रहा है, लेकिन मंदिरों को एक बार बन जाने के बाद नहीं हटाया जाता.

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बीजेपी नेता ने कहा कि अयोध्या में विवादित ढांचे को सरयू नदी के पास से कहीं और शिफ्ट नहीं किया जा सकता. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद से संबंधित अन्य मामलों की सुनवाई कर रही बेंच ही इस मामले की भी सुनवाई करेगी.

'...तो हिंदुओं को सौंप देंगे जमीन'
गौरतलब है कि 1994 में नरसिम्हा राव की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र सौंपकर कहा था, 'अगर ये साबित हो जाए कि विवादित जगह पर मंदिर था, तो जमीन हिंदुओं को सौंप दी जाएगी.' स्वामी का कहना है कि आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की तरफ से की गई खुदाई में यह साबित हो चुका है कि बाबरी मस्जिद हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी. स्वामी ने कहा है कि राम मंदिर को किसी और जगह पर नहीं बनाया जा सकता, क्योंकि यह हिंदुओं की परंपरा और आस्था से जुड़ी हुआ मामला है.

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