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सुप्रीम कोर्ट ने ईसाई कपल को तलाक लेने से पहले दो साल तक अलग रहने के नियम पर हैरानी जताते हुए सवाल उठाया है. कोर्ट ने कहा कि जब दूसरे समुदायों में यह समय एक साल का है तो ईसाई कम्युनिटी में यह नियम कैसे बदल गया?
जस्टिस विक्रमजीत सेन और एएम सप्रे की बेंच ने कहा कि ईसाई दंपतियों के लिए अलग से नियम लागू करने का कोई तुक नहीं बनता. कोर्ट ने इसके साथ ही 146 साल पुराने उस नियम को दोबारा परखने की भी बात कही जिसमें कहा गया है कि तलाक लेने से पहले दंपति को कम से कम दो साल तक अलग रहना पड़ेगा.
दो हाईकोर्ट ने दिया अलग-अलग फैसला
बेंच ने तलाक एक्ट 1869 के सेक्शन 10 ए (1) के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है. याचिकाकर्ता अल्बर्ट एंथनी की ओर से पेश हुए वकील राजीव शर्मा ने कहा कि केरल हाईकोर्ट ने इस समय को कम करके एक साल कर दिया था, लेकिन कर्नाटक हाईकोर्ट ने इसके खिलाफ फैसला सुनाया.
कोर्ट ने केंद्र से जबाव मांगते हुए इस मामले की सुनवाई दो हफ्ते बाद करने का निर्देश दिया है. अपनी याचिका में एंथनी ने कहा था कि बाकी समुदायों से इतर ईसाइयों में तलाक के लिए दो साल अलग रहने का नियम तर्कसंगत नहीं है.