
बहुविवाह और हलाला के खिलाफ दायर याचिका पर जल्द सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि इस मामले की सुनवाई गर्मियों की छुट्टी में की जाए, जिस तरह तीन तलाक मामले की सुनवाई हुई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को संवैधानिक पीठ के पास भेज दिया था.
बहुविवाह-हलाला को असंवैधानिक घोषित करने की मांग
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर बहुविवाह और हलाला को असंवैधानिक करार दिए जाने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम, 1937 की धारा 2 को संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 का उल्लंघन करने वाला घोषित किया जाए क्योंकि यह बहुविवाह और निकाह हलाला को मान्यता देता है.
IPC के मुताबिक अपराध है बहुविवाह-हलाला
याचिका में यह भी कहा गया है कि ट्रिपल तलाक आईपीसी की धारा 498A के तहत एक क्रूरता है. निकाह हलाला आईपीसी की धारा 375 के तहत बलात्कार है और बहुविवाह आईपीसी की धारा 494 के तहत एक अपराध है. याचिका में ये मांग की गई है कि भारतीय दंड संहिता, 1860 के प्रावधान सभी भारतीय नागरिकों पर बराबरी से लागू हों.
याचिका में कहा गया है कि कुरान में बहुविवाह की इजाजत इसलिए दी गई ताकि उन महिलाओं और बच्चों की स्थिति सुधारी जा सके, जो उस समय लगातार होने वाले युद्ध के बाद बच गए थे और उनका कोई सहारा नहीं था. इसका मतलब यह नहीं है कि इसकी वजह से आज के मुसलमानों को एक से अधिक महिलाओं से विवाह का लाइसेंस मिल गया है.