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नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट ने चेताया- लोग प्रभावित हो रहे हैं, हो सकते हैं दंगे

चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय बेंच ने आगाह किया कि लोगों को अगर कोर्ट आने से रोका गया तो सड़कों पर दंगे हो सकते हैं.

नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
खुशदीप सहगल/अहमद अजीम/अनुषा सोनी
  • नई दिल्ली,
  • 18 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 9:26 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की इस दलील को नामंजूर कर दिया है कि नोटबंदी को लेकर देशभर में हाईकोर्ट और निचली अदालतों में दर्ज मामलों की सुनवाई पर रोक लगा दी जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम कैसे लोगों के लिए अपने दरवाजे बंद कर सकते हैं जबकि इतने बड़े पैमाने पर समस्या का सामना करना पड़ रहा है. चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय बेंच ने आगाह किया कि लोगों को अगर कोर्ट आने से रोका गया तो सड़कों पर दंगे हो सकते हैं.

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बेंच के मुताबिक उसने संज्ञान लिया कि लोग धन के लिए 'व्यग्र हो रहे हैं, घंटों कतार में खड़े रहने की हिम्मत दिखा रहे हैं. बेंच ने व्यवस्था दी कि देशभर में मामले दर्ज होना अपने आप में ही संकेत है कि समस्या 'गंभीर और कितनी बड़ी' है. चीफ जस्टिस ठाकुर ने इंगित किया, 'वो (लोग) अदालतों में राहत के लिए आ रहे हैं. हम अपने दरवाजे उनके लिए बंद नहीं कर सकते.' बेंच ने साफ किया कि वो इस दलील को इस हद तक ही विचार कर सकती है कि सारे मामलों को दिल्ली ट्रांसफर कर दिया जाए.'

चीफ जस्टिस ठाकुर और जस्टिस अनिल आर दवे की बेंच ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से अपनी आशंकाएं जताते हुए कहा, 'ये बहुत गंभीर है. गहन विचार की जरुरत है. लोग व्यग्र हो रहे हैं, लोग प्रभावित हो रहे हैं....दंगे हो सकते हैं.'

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बेंच ने सभी पक्षों से आंकड़ों और अन्य मुद्दों पर लिखित में तैयार रहने के लिए कहा. बेंच ने लोगों की परेशानियों को लेकर अटॉर्नी जनरल से पूछा कि क्या आप (केंद्र) इससे अलग राय रखते हैं. इस पर अटॉर्नी जनरल रोहतगी ने कहा कि इस पर कोई अलग राय नहीं है. लेकिन कतारें छोटी हो रही हैं. अटॉर्नी जनरल ने ये सुझाव भी दिया कि चीफ जस्टिस चाहें तो लंच ब्रेक पर खुद जाकर कतारों को देख सकते हैं.

अटॉर्नी जनरल ने एक निजी पक्ष के लिए पैरवी कर रहे कपिल सिब्बल की ओर से स्थिति को कथित तौर बढ़ा-चढ़ा कर बताने पर ऐतराज भी जताया. अटॉर्नी जनरल ने कहा, 'ये कोर्ट में राजनीतिक को शिश है. मैंने आपकी (कपिल सिब्बल की) प्रेस कॉन्फ्रेंस भी देखी है, आप राजनीतिक पार्टी की नुमाइंदगी नहीं कर रहे हैं. आप वकील हैं. आप शीर्ष अदालत को राजनीतिक मंच बना रहे हैं.'

इस पर सिब्बल ने कहा, 'मुझे सरकार की नीतियों की आलोचना करने के लिए बोलने की आजादी है. मैं यहां लोगों को पेश आने वाली समस्याओं पर बात कर रहा हूं ना कि राजनीति की.' सिब्बल ने दावा किया कि 8 नवंबर के बाद 47 लोगों की मौत हो चुकी है और बैंकों में करेंसी नोटों की कमी की वजह से गंभीर स्थिति उत्पन्न हो चुकी है.

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