
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है. सीएम ममता बनर्जी को पद से हटाने के लिए राज्यपाल जगदीप धनखड़ को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है. याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट जाने के लिए कहा गया है.
दरसअल, पिछले साल दिसंबर में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में जनमत संग्रह कराने की मांग की थी.
याचिका में ममता बनर्जी की इसी मांग का विरोध करते हुए उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हम इनकार नहीं कर रहे कि यह महत्वपूर्ण नहीं है. इस मसले पर आप हाई कोर्ट जाइए.
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के खिलाफ तमिलनाडु की सामाजिक संस्था इंडियन मक्कल मन्द्रम के अध्यक्ष वराक्की की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया कि ममता बनर्जी ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ UN की निगरानी में जनमत परीक्षण की मांग की है. संविधान की शपथ लेकर उसके खिलाफ बात करने वाला सीएम पद के अयोग्य है.
नागरिकता साबित करने की क्यों जरूरतः ममता
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले साल 19 दिसंबर को तृणमूल कांग्रेस पार्टी की एक रैली में कहा था कि आजादी के कई वर्षों के बाद हमें नागरिकता साबित करने की क्यों जरूरत है. अपने संबोधन के दौरान ममता बनर्जी ने यह भी मांग की थी कि नागिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी पर जनमत संग्रह कराया जाए. इसे संयुक्त राष्ट्र मॉनिटर करे.
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ममता बनर्जी ने कहा कि जनमत संग्रह के बाद देखते हैं कि कौन जीतता है. केंद्र की मोदी सरकार को चुनौती देते हुए ममता बनर्जी ने आगे कहा कि अगर तुम हारते हो तो तुम्हें इस्तीफा देकर जाना होगा. ममता ने कहा, 'मैं तुमको चुनौती देती हूं कि देश को फेसबुक और सांप्रदायिक दंगों का इस्तेमाल कर विभाजित करने की कोशिश मत करो.'
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ममता बनर्जी ने यह भी कहा, 'अगर अफगानिस्तान भारत का भाई है तो श्रीलंका क्यों नहीं है. मैं जनता से अपील करती हूं कि लोग सड़कों पर उतरें. घर में न बैठें, राजनीतिक विचारधारा भूलकर सड़कों पर उतरें.'