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सुप्रीम कोर्ट आज बीसीसीआई पर सुना सकता है फैसला

लोढ़ा कमेटी और बीसीसीआई के बीच यह तनातनी पिछले दो सालों से चल रही थी. साल भर पहले बीसीसीआई ने कमेटी की नौ सिफारिशों को मान भी लिया था

आर.एम लोढ़ा आर.एम लोढ़ा
अमित रायकवार
  • नई दिल्ली ,
  • 09 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 11:06 AM IST

सुप्रीम कोर्ट बीसीसीआई पर अपना फैसला सुना सकता है. बीसीसीआई और लोढ़ा समिति के बीच चल रही जंग का परिणाम पहले पांच दिसंबर को आना था. लेकिन कोर्ट ने अपने फैसले को नौ दिसंबर तक के लिए टाल दिया था. लोढ़ा पैनल ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि बीसीसीआई के सभी बड़े अधिकारियों को हटाकर  पूर्व केंद्रीय गृह सचिव जीके पिल्लई को पर्यवेक्षक  नियुक्त करे.  

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दो साल से चल रही है जंग
लोढ़ा कमेटी और बीसीसीआई के बीच यह तनातनी पिछले दो सालों से चल रही थी. साल भर पहले बीसीसीआई ने कमेटी की नौ सिफारिशों को मान भी लिया था, जिसमें अपेक्स काउंसिल बनाना, अपेक्स काउसिंल में सीएजी का सदस्य होना, आईपीएल गवर्निंग काउंसिल में सीएजी का प्रतिनिधित्व और खिलाड़ियों का संगठन बनाना शामिल था, लेकिन इससे लोढ़ा कमेटी संतुष्ट नहीं था. बोर्ड लोढ़ा पैनल की सिफारिशें पूरी तरीके से लागू करने को तैयार नहीं था, और ढीला रवैया अपना रहा था.

सुप्रीम कोर्ट दे चुका है आदेश
सुप्रीम कोर्ट पहले ही आदेश दे चुका था कि सिफारिशों को पूरी तरह लागू करे, लेकिन बावजूद इसके बीसीसीआई अपनी अलग दलील रखता रहा. बीसीसीआई को लोढ़ा कमिटी की 70 साल से ज्यादा उम्र के पदाधिकारियों की छुट्टी, एक व्यक्ति के पास एक से ज्यादा पद ना हो, एक राज्य का एक से ज्यादा वोट ना हो, चयन समिति में तीन सदस्य हों, पदाधिकारियों के नौ साल या तीन कार्यकाल और पदाधिकारियों का कार्यकाल लगातार ना हों, जैसी सिफारिशों पर एतराज करता रहा था.

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स्वतंत्र ऑडिटर नियुक्त करने को कहा था
इसी साल पिछले महिने अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के वित्तीय अधिकार सीमित करते हुए लोढ़ा समिति से एक स्वतंत्र ऑडिटर नियुक्त करने को कहा था. बीसीसीआई के वित्तीय अधिकार सीमित करने का आदेश देते हुए बोलियों और ठेकों के लिए वित्तीय सीमा का निर्धारण किया था. न्यायालय ने लोढ़ा समिति से कहा है कि वह एक स्वतंत्र ऑडिटर नियुक्त करें, जो बीसीसीआई के सभी वित्तीय लेन-देन की समीक्षा करेगा.

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