
चारा घोटाले के एक दूसरे मामले में लालू प्रसाद को सीबीआई की रांची स्थित विशेष कोर्ट द्वारा साढ़े तीन साल की सजा सुनाए जाने विपक्ष की ओर से जमकर हमला बोला जा रहा है. अपनी प्रतिक्रिया में उपमुख्यमंत्री और इस मामले के याचिकाकर्ताओं में से एक सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सजा सजा होती है, चाहे वह साढ़े तीन साल की हो या सात साल की. उन्होंने कहा कि इस मामले में मैंने, शिवानन्द तिवारी और ललन सिंह ने जो पुख्ता प्रमाण के साथ आरोप लगाए थे, आज कोर्ट ने सजा सुना कर उस पर मुहर लगा दी है.
उन्होंने कहा कि राजनीतिक बदले या दुर्भावना का आरोप लगाने वालों को बताना चाहिए कि मुकदमा चलाने की अनुमति देने वाले पूर्व राज्यपाल एआर किदवई, तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा और जांच को अंजाम तक पहुंचाने वाले सीबीआई के तत्कालीन जॉइंट डायरेक्टर यू एन बिश्वास किस दल से जुड़े थे? एआर किदवई कांग्रेसी थे जबकि एचडी देवगौड़ा को लालू प्रसाद ने ही प्रधानमंत्री बनाया था. यूएन बिश्वास तृणमूल कांग्रेस के वरीय नेता हैं. पहली बार जब लालू प्रसाद जेल गए तो उस समय राबड़ी देवी बिहार की मुख्यमंत्री थी. फिर लालू प्रसाद को किसने फंसा दिया? जो लोग जाति के आधार पर सजा देने का कोर्ट पर आरोप लगा रहे हैं. उन्हें बताना चाहिए कि आज जिन्हें सात साल तक की सजा मिली हैं वे किस जाति के हैं?
दरअसल गरीबों के नाम पर सत्ता में आए लोगों ने गरीबों का विश्वास तोड़ कर गरीबों का धन लूटा. अब उन्हें बचने का बहाना छोड़ कर प्रायश्चित करना चाहिए. कोर्ट की सजा वैसे लोगों के लिए एक सबक है जो पिछड़ों, दलितों के नाम पर अपने आपराधिक कृत्य को जायज ठहराने की कोशिश करते हैं.