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अरब लीग देशों से सुषमा ने कहा- आतंकवाद सभी धर्म के लिए खतरा

विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र प्रस्ताव के पारित किए जाने के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि इससे इस समस्या के खिलाफ वैश्विक समुदाय की लड़ाई में ‘उल्लेखनीय कमी’ दूर हो जाएगी.

सुषमा स्वराज सुषमा स्वराज
लव रघुवंशी/BHASHA
  • मनामा,
  • 24 जनवरी 2016,
  • अपडेटेड 8:30 AM IST

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने धर्म को आतंकवाद से अलग करने की मजबूती से मांग करते हुए रविवार को कहा कि भारत और अरब जगत को समस्या के खात्मे के लिए हाथ मिलाना चाहिए. उन्होंने साथ ही आगाह करते हुए कहा कि जो चुपचाप आतंकी समूहों को प्रायोजित करते हैं वे अंत में उनके द्वारा इस्तेमाल हो सकते हैं.

सुषमा ने अरब लीग देशों के विदेश मंत्रियों से कहा, 'जिनका मानना है कि इस तरह के आतंकी समूहों के मूक प्रायोजन से उन्हें फायदा पहुंचेगा, उन्हें महसूस करना चाहिए कि उनका अपना खुद का एजेंडा है और प्रायोजक ने उनका जिस तरह इस्तेमाल किया है वे उससे कहीं ज्यादा प्रभावशाली तरीके से संरक्षकों का इस्तेमाल करने में माहिर हैं.

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अरब-भारत सहयोग मंच की पहली मंत्रिस्तरीय बैठक में धर्म को आतंकवाद से अलग करने की कड़ी वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों में अंतर केवल मानवता में विश्वास रखने वालों और विश्वास ना रखने वालों का है. उन्होंने मंच को अरब जगत के साथ भारत के संबंधों में एक ‘नया मोड़’ बताया.

सुषमा का दो दिन का दौरा
शनिवार को दो दिन के दौरे पर यहां पहुंचीं भारत की विदेश मंत्री ने कहा, 'आतंकी धर्म का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन सभी धर्म के लोगों को नुकसान पहुंचाते हैं.' उन्होंने 'विविधता में एकता के भारत के मॉडल' को धर्मांधता और कट्टरपंथ से निपटने के लिए दुनिया के लिए उदाहरण बताया.

विदेश मंत्री का किसी विश्व मंच पर भारत की धार्मिक एवं सांस्कृतिक विविधता का हवाला देना महत्व रखता है क्योंकि भारत में कथित रूप से बढ़ती असहिष्णुता के विषय पर यह हाल में शुरू हुई बहस की पृष्ठभूमि में आया.

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सभी धर्मों की समानता के लिए प्रतिबद्ध भारत
सुषमा ने कहा, 'भारत में हर धर्म के लोग रहते हैं. हमारा संविधान धार्मिक समानता के मौलिक सिद्धांतों और ना केवल कानून के समक्ष बल्कि रोजाना व्यवहार में भी सभी धर्मों की समानता के लिए प्रतिबद्ध है.' उन्होंने कहा, 'हमारे देश के हर कोने में अजान की आवाज से सुबह होती है जिसके बाद हुनमान मंदिर की घंटियों की आवाज गूंजती है, फिर गुरूद्वारे से गुरू ग्रंथ साहिब के पाठ की आवाज आती है और फिर हर रविवार को चर्च की घंटी के गूंजने की आवाज आती है. यह दर्शन 1950 में स्वीकार किए गए हमारे संविधान का हिस्सा भर नहीं है, बल्कि यह वसुधैव कुटुंबकम के हमारे प्राचीन विश्वास का सार है.' विदेश मंत्री ने कुरान का हवाला देते हुए कहा कि सांप्रदायिक सद्भाव पवित्र कुरान का भी संदेश है.

विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र प्रस्ताव के पारित किए जाने के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि इससे इस समस्या के खिलाफ वैश्विक समुदाय की लड़ाई में ‘उल्लेखनीय कमी’ दूर हो जाएगी.

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