Advertisement

टीडीपी और भाजपा के बीच बहुत पहले से दिख रहीं थीं दरारें

आंध्र प्रदेश और देश में चुनाव होेन वाले हैं...ऐसे में चंद्रबाबू नायडू विशेष राज्य का दर्जा न देने के मुद्दे पर केंद्र को घेरकर राज्य की जनता को यह संदेश देंगे कि टीडीपी आज भी अपनी मांग पर कायम है.

टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू और नरेंद्र मोदी टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू और नरेंद्र मोदी
संध्या द्विवेदी/मंजीत ठाकुर
  • ,
  • 16 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 5:04 PM IST

एनडीए से टीडीपी भले ही आज टूटी हो लेकिन दरारें बहुत पहले से दिखने लगीं थीं. तीन तलाक के मुद्दे पर टीडीपी के विपक्ष के साथ जाने से साफ हो गया था कि यह गठबंधन अब कभी भी टूट सकता है. वैसे भी अब आंध्र प्रदेश और केंद्र दोनों के चुनाव करीब हैं. ऐसे में टीडीपी अपने हितों को लेकर मुखर दिखने की कोशिश करेगी. आंध्र प्रदेश को 'विशेष राज्य का दर्जा' न दिला पाने पर टीडीपी जनता के लिए जवाबदेही दिखाते हुए भी अलग होने की कसरत में पहले से नजर आ रही थी.

Advertisement

अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए-1) में शामिल रही द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) के पोटा विरोध को भाजपा के तत्कालीन रणनीतिकारों ने सियासी मजबूरी बताया था.

दिसंबर 2003 में एम. करुणानिधि ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया. मोदी के नेतृत्व में चल रहे एनडीए-2 में तीन तलाक को लेकर तेलगुदेशम पार्टी (टीडीपी) ने भी सरकार की जगह विपक्ष के साथ जाना मुनासिब समझा था. भाजपा के मौजूदा रणनीतिकार भी इसे टीडीपी की सियासी मजबूरी मान रहे हैं. सच यह भी है कि एनडीए-2 की यह सहयोगी भी दक्षिण भारत की पार्टी है जिसके पास 16 सांसद हैं.

टीडीपी के इस रुख की आखिर वजह क्या रही है? टीडीपी केंद्र की सरकार में बाकायदा शामिल है और उसके कोटे के मंत्री हैं. आंध्र प्रदेश में भाजपा के साथ उसकी सरकार चल रही है. ऐसे में उसने विपक्षी दलों के साथ जाकर भाजपा को शॄमदा क्यों किया?

Advertisement

चंद्रबाबू नायडू के खास माने जाने वाले टीडीपी के राज्यसभा सांसद सीएम रमेश कहते हैं, ''सवाल यह नहीं कि हमारे फैसले से भाजपा को शर्मिंदगी हुई, उससे अहम बात यह है कि मौजूदा स्वरूप में यह बिल हमारे लिए शर्मिंदगी का विषय है."

अनौपचारिक बातचीत में टीडीपी नेता मानते हैं कि गठबंधन में अब पहले जैसी बात नहीं रही. भाजपा को राष्ट्रीय परिदृश्य में सरकार चलानी है और टीडीपी या अन्य राज्य स्तरीय या क्षेत्रीय दलों को संबंधित राज्यों पर फोकस करना होता है.

आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा टीडीपी की केंद्र से मांग है जो कि पूरी नहीं हो रही है. राज्यसभा में टीडीपी नेता वाइ.एस. चौधरी कहते हैं, ''हमारी कोशिश है कि आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा मिले.

हम सभी दलों से इसके लिए सहयोग मांग रहे हैं क्योंकि राजनीति में कोई दल अछूत नहीं होता." चौधरी के इस बयान का निहितार्थ साफ है कि भाजपा के साथ गठबंधन की मजबूती इस बात पर है कि टीडीपी के मुद्दों पर भाजपा का रुख कैसा है. रुख टीडीपी के अनुकूल है तो ठीक वरना गठबंधन कोई मजबूरी नहीं?

वैसे भी दोनों दलों में गठबंधन सिर्फ पांच साल के लिए हुआ है. चूंकि लोकसभा और आंध्र प्रदेश के विधानसभा चुनाव साथ होते हैं इसलिए 2018 के अंत होते-होते दोनों दलों के लिए अपना हित सबसे ऊपर होगा न कि गठबंधन का हित. वैसे भी पिछले पौने चार साल में दोनों दलों के बीच खाई काफी बढ़ती गई है.

Advertisement

भाजपा उपाध्यक्ष डी. पुरंदेश्वरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को पत्र लिख कर चंद्रबाबू नायडू की शिकायत की थी. शिकायत में कहा गया था कि नायडू गठबंधन धर्म नहीं निभा रहे.

जगन मोहन रेड्डी की पार्टी के चार विधायकों को नायडू ने अपने मंत्रिमंडल में जगह दी और इसको लेकर भाजपा से चर्चा तक नहीं की गई. इसी तरह नायडू सरकार में भाजपा कोटे के मंत्री पीएम राव ने शराबबंदी के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है तो दूसरी तरफ टीडीपी कोटे के आबकारी मंत्री के.एस.

जवाहर शराब की बिक्री बढ़ाने के लिए हर कोशिश कर रहे हैं. इसको लेकर दोनों के समर्थक आपस में उलझ रहे हैं. दोनों दलों के बीच सिर्फ सरकारी या प्रशासनिक स्तर पर ही विरोध नहीं है संगठनात्मक स्तर पर भी दोनों आमने-सामने हैं.

राज्य में भाजपा के एमएलसी सोमू राजू कहते ने उस वक्त कहा था कि ''गठबंधन की सरकार का यह मतलब नहीं कि आने वाले दिनों में राज्य में भाजपा अपने दम पर सरकार नहीं बना सकती है. हम संगठन को मजबूत कर रहे हैं और बूथ स्तर से लेकर राज्य स्तर तक."

टीडीपी सांसद ओ.सी. दिवाकर भारतीय जनता पार्टी पर तंज कसते हुए कहा था कि ''लोकसभा में भाजपा का बहुमत है इसलिए भाजपा, आंध्र प्रदेश पर ध्यान नहीं दे रही है. बहुमत नहीं होता तो फिर सहयोगियों का महत्व पता चलता."

Advertisement

***

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement