
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू , मोदी सरकार (एनडीए) के सामने मबजूबत विपक्षी गठजोड़ तैयार करेंगे. इस दिशा में उन्होंने काम करना शुरू कर दिया है और कांग्रेस, टीएमसी और राजद को साधने की कोशिश में लग गए हैं. टीडीपी नेता एस.वाई चौधरी का कहना है कि आंध्र प्रदेश की उपेक्षा करना मोदी सरकार को भारी पड़ेगा.
टीडीपी नेताओं का कहना है कि, जिस दिन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साफ कर दिया कि आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दे सकते उसी दिन पार्टी ने आगे की रणनीति तय कर ली थी. सबसे पहले हमने सरकार से अपने मंत्री वापस किए.
इसके बाद कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के लोगों से सहयोग की बात शुरू की गई. शुक्रवार को पार्टी ने यह तय किया कि एनडीए से अलग हो जाएं. इसके तुरंत बाद सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला लिया गया.
टीडीपी नेता थोथा नरसिम्हन इस बात को मानते हैं कि स्वयं भाजपा के पास लोकसभा में बहुमत है लेकिन अविश्वास प्रस्ताव के जरिए लगभग 200 सदस्य यदि मोदी सरकार के खिलाफ वोट करते हैं तो एक मजबूत विपक्षी गठबंधन की नीव पड़ जाएगी जिसका असर अगले लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा. सूत्रों का कहना है कि टीडीपी का यह रुख सिर्फ अविश्वास प्रस्ताव तक नहीं रुकने वाला है.
पार्टी एक कदम आगे बढ़ते हुए बजट सत्र समाप्त होने के बाद अपने लोकसभा सांसदों का इस्तीफा सरकार के विरोध स्वरूप करा सकती है. ऐसा कर वह राज्य़ में अपनी विरोधी पार्टी, वाईएसआर कांग्रेस (जगन) के सामने भी चुनौती पेश कर सकती है.
राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के मुद्दे पर अपने इस आक्रामक रूख (सांसदों के इस्तीफे) के बाद टीडीपी, जगन के सामने मजबूती से खड़ी दिखेगी. ऐसे में सांसदों के इस्तीफे के अलावा जगन के सामने भी कोई विकल्प नहीं बचेगा.
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