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पेरिस में मीडिया दफ्तर में पांच मिनट तक चला कत्लेआम

फ्रांस की राजधानी पेरिस. दिन बुधवार, वक्त सुबह के करीब 11 बजे. एक साथ इतने जर्नलिस्ट यानी पत्रकार के कत्लेआम की ये शायद पहली वारदात है. किसी कार्टून को लेकर ऐसा खून-खराबा दुनिया ने शायद पहली बार देखा.

aajtak.in
  • पेरिस/नई दिल्ली,
  • 08 जनवरी 2015,
  • अपडेटेड 4:40 AM IST

फ्रांस की राजधानी पेरिस. दिन बुधवार, वक्त सुबह के करीब 11 बजे. एक साथ इतने जर्नलिस्ट यानी पत्रकार के कत्लेआम की ये शायद पहली वारदात है. किसी कार्टून को लेकर ऐसा खून-खराबा दुनिया ने शायद पहली बार देखा .

हमेशा विवादित रही 'चार्ली एब्दो'

फ्रांस की मशहूर वीकली मैग्जीन चार्ली एब्दो के लिए बुधवार वीकली एडिटोरियल मीटिंग का दिन था. बुधवार को इस मैग्जीन के ताजे अंक के प्रकाशन के बाद अगले हफ्ते के अंक के लिए मैग्जीन के संपादक समेत एडिटोरिल टीम के सारे पत्रकार दफ्तर में मौजूद थे.

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तभी एक काले रंग की कार में सवार दो लोग इस मैग्जीन के दफ्तर के सामने आ कर रुकते हैं. काले रंग की ये कार दरअसल सुबह-सुबह पेरिस में काले दिन का पैगाम लेकर आई थी. कार के दरवाजे खुले और काला ड्रेस पहने दो नकाबपोश हथियारबंद आतंकवादी बाहर निकले. इसके बाद अचानक अमूमन शांत रहने वाले पेरिस शहर के डी पैटिंन इलाके में गोलियों की तडतड़ाहट गूंज उठी.

आतंकवादी अंधाधुंध गोलियां बरसाते हुए आगे बढ़ते हैं. पर तभी उनके सामने अचानक एक पुलिस वाला आ जाता है. आतंकवादियों ने पुलिसवाले को वहीं गोलियों से भून डाला. पास ही पुलिस की गाड़ी भी खड़ी थी. आतंकवादियों ने गाड़ी की ड्राइविंग सीट की तरफ फायर झोंक दिया. दो पुलिसवालों की जान लेने के बाद आतंकवादी अब अपनी मंजिल की तरफ बढ़ते हैं.

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दोनों आतंकवादियों के हाथों में एके-47 राइफल थी और निशाने पर था फ्रांसीसी व्यंग्य पत्रिका चार्ली एब्दो का दफ्तर. आतंकवादियों ने दफ्तर के अंदर घुसकर गोलियों की बौछार कर दी. मैग्जीन का पूरा एडिटोरिल स्टाफ एक साथ था. इसके बाद अगले कुछ मिनट तक दफ्तर के अंदर से बस गोलियों की ही आवाज आ रही थी. देखते ही देखते 10 पत्रकारों की मौके पर ही मौत हो गई. इस आतंकवादी हमले में चार्ली एब्दो के संपादक स्टीफेन कार्बोनियर की भी जान चली गई.

सरेआम हुए इस हमले से सिर्फ मैग्जीन के दफ्तर में ही नहीं, बल्कि आस-पास के पूरे इलाके में कोहराम मच जाता है. लोग अपने-अपने ठिकानों में दुबक जाते हैं और इसी बीच कुछ लोग अपने-अपने कैमरों और मोबाइलों में तस्वीरें कैद करने में कामयाब हो जाते हैं.

आतंकवादी मैग्जीन चार्ली एब्दो के दफ्तर में पांच मिनट के लिए रुकते हैं. लेकिन इन्हीं पांच मिनटों में उनकी बंदूकें इतनी आग उगलती हैं कि जब तक वो ये दफ्तर खाली करते हैं, तब तक दस पत्रकारों की लाशें बिछ जाती हैं और कई ज़ख्मी हो जाते हैं.

चार्ली एब्दो के साथ विवादों का पुराना नाता रहा है और फ्रांस की सरकार को भी इस बात की खूब खबर है. लिहाजा, यहां हमेशा ही पुख्ता हिफाज़त के इंतजाम भी होते हैं और शायद यही वजह है कि जैसे ही एब्दो के दफ्तर से गोली बारी की आवाज़ सुनाई देती है. बाइक और कार पर पुलिसवाले मौका-ए-वारदात का रुख करते हैं. लेकिन बदकिस्मती से ठीक इसी वक्त ये नकाबपोश बंदूकधारी मैग्जीन के दफ्तर से बाहर निकल आते हैं और अपने सामने एक पुलिसवाले को आता देख कर सीधे उस पर फायर झोंक देते हैं. इस हमले में जख्मी हो कर वो जमीन पर गिर जाता है. लेकिन इसके बाद हमलावर जो कुछ करते हैं, वो बेहद खौफनाक है.

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एक नकाबपोश दौड़ कर फुटपाथ पर गिरे जख्मी पुलिसवाले की तरफ लपकता है और बिल्कुल नजदीक से उसके सिर में गोलियां दाग कर आगे निकल जाता है. दोबारा हुए इस हमले से उसकी मौके पर ही मौत हो जाती है और किसी दूसरी इमारत की छत से ये तस्वीरें एक कैमरे में कैद हो जाती हैं. अब हमले का ये काम तकरीबन पूरा हो चुका है. दस पत्रकार और पुलिसवालों को अपना निशाना बनाने के बाद अब नकाबपोश जल्द से जल्द मौका ए वारदात से निकलना चाहते हैं. तब तक दोनों खुले दरवाजों के कार बीच सड़क पर ही खड़ी है. अब दोनों दौड़ कर कार के पास पहुंचते हैं. एक आतंकवादी कार के नीचे गिरा कोई सामान उठाता है और फिर दोनों कार में बैठ कर मौका ए वारदात से निकल जाते हैं.

लेकिन आखिर इस हमले का सबब क्या है? ये हमलावर कौन हैं? इन्होंने क्यों चार्ली एब्दो के पत्रकारों और पुलिसवालों को निशाना बनाया है? हमले के बाद पीछे क्या रह जाता है?

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