
श्रीलंका पर ऐतिहासिक जीत में ‘मैन ऑफ द सीरीज’ रहे रविचंद्रन अश्विन ने कहा कि उन्होंने पिछले एक साल के दौरान टेस्ट क्रिकेट पर अधिक ध्यान दिया क्योंकि उन्हें यह सचाई पता चल गई थी कि लंबी अवधि का यह फॉर्मेट ‘बच्चों’ का खेल नहीं है.
अश्विन ने श्रीलंका के खिलाफ तीसरे टेस्ट मैच के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘पिछले 10-12 महीनों में मैंने टेस्ट क्रिकेट पर अधिक ध्यान दिया. मैं यह जान गया था कि टेस्ट क्रिकेट बच्चों का खेल नहीं है. मैं खेल के प्रत्येक पहलू को लेकर गंभीर होना चाहता था और जितना संभव हो पूरी तरह से ध्यान केंद्रित करना चाहता था.’
अश्विन ने सीरीज में 21 विकेट लिए और यही नहीं तीसरे टेस्ट की दूसरी पारी में उन्होंने अर्धशतक भी जड़ा. उन्होंने कहा, ‘सीरीज से पहले मैं केवल अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहता था. इस सीरीज के प्रत्येक दिन मैं वह लय बनाये रखना चाहता था जो मैंने गाले में पहले दिन हासिल की थी. लय ऐसी चीज थी जिसे मैं पूरी सीरीज में बनाए रखना चाहता था. प्रत्येक मैच में कोई ना कोई ऐसा स्पैल रहा जिसमें मेरी लय शानदार थी.’
अश्विन ने स्वीकार किया कि आखिरी दिन जब कुशाल परेरा और एंजेलो मैथ्यूज ने छठे विकेट के लिए 135 रन की साझेदारी की तो उन्होंने इंतजार करो और मौका देखो की रणनीति अपनाई. उन्होंने कहा, ‘गेंद वास्तव में नरम पड़ गई थी और यहां तक तेज गेंदबाज भी इसे स्विंग नहीं करा पा रहे थे. हमने तय किया कि हमें रनों पर अंकुश लगाना होगा और जब विकेट गिरने शुरू होंगे तो हम इसका फायदा उठाएंगे. यहां तक कि मैच से पहले हमें लग गया था कि इस दौरान रन जा सकते हैं. हम दूसरी नई गेंद का इंतजार कर रहे थे और इसलिए हम मैच को आगे तक खींच रहे थे. मुझे लगता है कि एक इकाई के रूप में हमने रणनीति को अच्छी तरह से अंजाम तक पहुंचाया.’