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ब्रिटिश मैगजीन ने बजाया नरेंद्र मोदी का 'बैंड', कहा- 'कट्टर हिंदुओं को रोक पाने में नाकाम रहे PM'

ब्रिटेन की मशहूर मैगजीन 'द इकोनॉमिस्ट' ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक साल के काम की पड़ताल की है. मैगजीन ने मोदी को 'वन मैन बैंड' की संज्ञा दी है और उनका ऐसा चित्र छापा है जिसमें वह अकेले ढेर सारे म्यूजिक इंस्ट्रुमेंट लिए हुए दिखाई दे रहे हैं.

The Economist, Narendra Modi The Economist, Narendra Modi
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 22 मई 2015,
  • अपडेटेड 5:15 PM IST

ब्रिटेन की मशहूर मैगजीन 'द इकोनॉमिस्ट' ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक साल के काम की पड़ताल की है. मैगजीन ने मोदी को 'वन मैन बैंड' की संज्ञा दी है और उनका ऐसा चित्र छापा है जिसमें वह अकेले ढेर सारे म्यूजिक इंस्ट्रुमेंट लिए हुए दिखाई दे रहे हैं.

मैगजीन ने भारत के सुनहरे भविष्य की ओर इशारा तो किया है, लेकिन कई मुद्दों पर पीएम मोदी की जमकर आलोचना भी की है. रिपोर्ट में यहां तक कहा गया है कि पीएम मोदी की सोच अब भी गुजरात के मुख्यमंत्री जैसी ही है, राष्ट्रीय नेता जैसी नहीं. अगर मोदी को देश में वाकई बदलाव लाना है तो भारत के 'वन मैन बैंड' को नई धुन की जरूरत है.

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बहुत धीमी है मोदी की रफ्तार: मैगजीन
मैगजीन ने लिखा है कि मोदी के अपने देश के लिए बड़ी आकांक्षाएं है और इसके लिए उन्हें आत्मविश्वास भी है. लेकिन उन्हें अब भी यह बताना है कि वह यह काम कैसे करेंगे. रिपोर्ट के मुताबिक, 'मोदी अच्छे दिनों का नारा देकर सत्ता में तो आ गए, लेकिन उनकी रफ्तार बेहद धीमी है. वोटरों ने बीजेपी को पिछले 30 साल में सबसे ज्यादा सीटें दीं, लेकिन मोदी ने जितने अधिकार अपने हाथों में रखे उतने हाल के सालों में शायद ही किसी दूसरे प्रधानमंत्री ने रखे हों.'

मैगजीन के मुताबिक, भारत को बड़े बदलाव की जरूरत है और यह काम 'वन मैन बैंड' (मोदी) के लिए बहुत बड़ी चुनौती है. मैगजीन ने लिखा है कि भारत को दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बनने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा. इतना ही नहीं, यह दुनिया की तीन बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में एक होगा और इतिहास में पहली बार भारत का दुनिया पर इतना प्रभाव होगा. हालांकि, मैगजीन के मुताबिक मोदी को लगता है कि सिर्फ एक ही शख्स है जो इस रास्ते पर भारत की अगुवाई करेगा...नरेंद्र दामोदरदास मोदी.

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मैगजीन ने पिछले साल चुनाव के दौरान मोदी पर स्टोरी न करने का कारण भी बताया है. 'द इकोनॉमिस्ट' ने लिखा है, 'हमें धार्मिक मामलों को लेकर उनकी क्षमता पर शक था. मोदी कट्टर हिंदुओं को रोक पाने में नाकाम रहे हैं पर खुशी इस बात की है कि अब तक कोई बड़ी सांप्रदायिक हिंसा नहीं हुई है, जिसका हमें सबसे ज्यादा डर था.'

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