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सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की फिल्म 'TE3N' रिलीज होने वाली है. पेश है उनसे हुई खास बातचीत के कुछ मुख्य अंश:
अमित जी, आज कल मराठी फिल्में भी बॉक्स ऑफिस पर कमाल कर रही हैं?
जी ये आज से नहीं, कई सालों से चला आ रहा है. मराठी साहित्य और लेखन पहले से ही बहुत मजबूत रहा है. बाबूजी (स्वर्गीय हरिवंश राय बच्चन) की कविताओं का मराठी अनुवाद काफी पहले हो गया था. बहुत ही अद्भुत फिल्में बन रही हैं और हम इनकी सराहना करते हैं. मैं अपने आपको भाग्यशाली समझता हूं कि ऐसा काम देखने के लिए जीवित हूं.
आपने भी रिजनल फिल्मों में काम किया है?
जी, मैंने अपने मेक अप आर्टिस्ट दीपक सावंत की फिल्मों में काम किया है.
आपको 'नट सम्राट' का भी ऑफर आया था?
जी, बीच में महेश मांजरेकर ने 'नट सम्राट' के हिंदी रीमेक के लिए ऑफर दिया था लेकिन जिस तरह से नाना पाटेकर साहब ने मराठी में काम किया है, उनका मुकाबला मैं नहीं कर पाऊंगा. बहुत ही अच्छा और अद्भुत काम किया है. मैं चाहता हूं कोई और उसके हिंदी रीमेक में काम करे.
आपको लगता है कि आजकल के दर्शक बदल गए हैं?
जी मैं आजकल की पीढ़ी और और उनके माता-पिता को इस बात का बहुत बड़ा श्रेय देना चाहूंगा कि उनकी सोच काफी अलग है. आजकल जनता तय कर लेती है कि उसे किस तरह की फिल्में पसंद हैं.
नई चुनौतियां क्या हैं?
आजकल टीवी और इंटरनेट बड़े चैलेंज हैं क्योंकि इसमें ऐसी-ऐसी चीजें दिखाई जाने लगी हैं जिसकी वजह से हमें अपने को और बेहतर बनाने का चैलेंज मिल रहा है जिससे की जनता थिएटर तक आ सके. विदेशी फिल्मों से भी अब हमारा मुकाबला बढ़ गया है क्योंकि वे लोग भी अब हमारे आंगन में आने लगे हैं.
आपको लगता है कि हॉलीवुड की फिल्मों की वजह से हमारे मार्केट पर भी असर पड़ रहा है?
जी, हॉलीवुड जहां भी गया है उस देश की संस्था को एकदम बर्बाद कर दिया है. चाहे वो यूनाइटेड किंगडम हो, फ्रांस हो या फिर जर्मनी. अब हॉलीवुड की फिल्में भारत भी आ चुकी हैं. अब हमारे लिए चुनौती है कि अपने स्तर को और भी ऊंचा उठाया जाए.
खबरें थी कि 'मधुशाला' को अंग्रेजी में अनुवादित किया जा रहा है?
जी, आजकल की जो पीढ़ी है वो कविता पाठ, संस्कृति पाठ या साहित्य में उतनी रुचि नहीं ले रही है. हिंदी भाषी भी हिंदी कम, अंग्रेजी ज्यादा बोलते हैं. इसीलिए जया (जया बच्चन) को लगा की बाबूजी की कविताओं का अंग्रेजी अनुवाद किया जाए जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग उसे पढ़ सकें.
वैसे तो 'मधुशाला' 1933 में लिखी गयी थी लेकिन 'ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी' की एक टीचर ने 1940 में ही उसका इंग्लिश में अनुवाद करके उसे 'हाउस ऑफ वाईस' का नाम दे दिया था. वो छपी और काफी प्रचलित हुई. बाबूजी की सौंवी वर्षगांठ पर उनकी कविता और उसके अनुवाद को प्रकाशित किये जाने की बात चल रही है.
आपके घरों के नाम 'जलसा' 'प्रतीक्षा' और ऑफिस का नाम 'जनक' कैसे रखा गया?
हमारे बाबूजी की एक लाइन है कि 'स्वागत सबके लिए यहां पर, नहीं किसी के लिए 'प्रतीक्षा', तो यहां से 'प्रतीक्षा' नाम आया. पहले जलसा का नाम 'मनसा' था, जो की हमारी पूरी पीढ़ी की पहली महिला का नाम था. बाबूजी की आत्मकथा में ये नाम आपको मिलेगा.
कई लोगों ने कहा की ये नाम मत रखिये, फिर हमारे घर की पहली शादी यानी हमारी बेटी की शादी उसी घर में हुई, तो उसका नाम 'जलसा' रख दिया गया. और पीछे की तरफ एक छोटा सा घर हमने लिया तो उसका नाम 'मनसा' रख दिया. वहीं ऑफिस का नाम बाबूजी के नाम पर ही 'जनक' रख दिया. जनक का मतलब 'पिता' होता है.
क्रिटिक्स को कैसे लेते हैं?
जी क्रिटिक्स का होना बहुत जरूरी है क्योंकि वे अपने नजरिये से फिल्म को देखते हैं और उनकी समीक्षा को पढ़कर पता चलता है कि क्या अच्छा या क्या खराब था, फिर अगली बार जब हम फिल्म बनाते हैं तो उन बातों का ध्यान रखने की कोशिश करते हैं.
नवाजुद्दीन के साथ काम करना कैसा रहा?
वह बहुत ही टैलेंट हैं. फिल्म दर फिल्म वह अपने टैलेंट और निखार रहे हैं. वैसे इसके पहले भी मैंने नवाज के साथ 'शू बाईट' में काम किया था जो की दुर्भाग्यवश रिलीज नहीं हो पाई. उस वक्त भी उनकी अद्भुत प्रतिभा थी. नवाज, इरफान जैसे एक्टर्स के साथ काम करते हुए बहुत कुछ सीखने को मिलता है.
खबरें थी कि बंगाली फिल्म 'बेलसेशे' के हिंदी रीमेक में आप काम करेंगे?
नहीं, ये बस खबर है. इसमें कोई सच्चाई नहीं, मैंने फिल्म देखी है और फिल्म बहुत अच्छी है.
बाबूजी के अलावा बाकी किसी रचनाएं आपको पसंद हैं?
सबकी जैसे सुमित्रा नंदन पंत, महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', मैथिली शरण गुप्त.
'पिंक' फिल्म का क्या स्टेटस है?
शूटिंग खत्म हो गई है, सितम्बर में रिलीज होगी.
आपने कभी 'कवि' बनने की नहीं सोची?
नहीं, क्योंकि कभी कभी मेरी मां कहा करती थी कि 'वन पोएट इन द फैमिली इज इनफ'. परिवार में एक ही कवि का होना बहुत है.