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आजकल जैसी ही हमें कोई स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत होती है, हम इंटरनेट पर उसके बारे में जानकारी लेना शुरू कर देते हैं. जानकारी तक तो यह बात सही है, लेकिन इससे आगे जाकर खुद ही इसका इलाज शुरू करना आपके जीवन को जोखिम में डाल सकता है.
यह बात एक शोध में सामने आई है. गूगल से जानकारी के बाद इलाज शुरू कर देने को सायबरकॉन्ड्रिया कहा जाता है. इसमें स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के बारे में खुद ही ऑनलाइन निदान करने की प्रवृत्ति पैदा हो जाती है.
आइएएनएस की एक खबर के मुताबिक कभी-कभार इंटरनेट पर हमें स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में सही जानकारी मिल सकती है लेकिन अधिकतर यह ऑनलाइन जानकारी आपकी समस्या को बढ़ा सकती है.
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इंडस हेल्थ प्लस की आरोग्यसेवा विशेषज्ञ कांचन नायकवडी कहती हैं, 'खुद से जांच शुरू कर देना और दवाइयां लेना बहुत सामान्य बात हो गई है. इसकी कई वजहें हैं जिसमें समय की कमी, आर्थिक विषमता, जागरूकता की कमी, आकर्षक विज्ञापन और औषधियों का आसानी से उपलब्ध होना शामिल है. इन सभी कारणों से खुद से इलाज करने का चलन बढ़ रहा है.'
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उन्होंने कहा, 'खुद से दवाइयां लेने से बीमारी का गलत इलाज, दवाइयों के शरीर पर होने वाले गंभीर परिणाम, चिकित्सक की सलाह से वंचित हो जाना, दवाओं के दुष्प्रभाव व फर्जी दवाओं के प्रयोग की संभावना होती है. ऐसे में इससे बचने की जरूरत है.'