
कहते हैं कि हर शख्स के भीतर बुराईयों और अच्छाईयों का समागम होता है. जब बुराईयां हावी होने लगती हैं तो इंसान दानव और अच्छाईयों के बहुतायत पर देवता हो जाता है. कई बार बुरे विचार जेहन में आते हैं लेकिन हम उन पर काबू पाने की पुरजोर कोशिश करते हैं. यही चीजें हमें गलत और सही के दायरे में लाती है. इस तरह देखा जाए तो रावण के भीतर भी कई कमियां थीं. इसके बावजूद वह प्रकाण्ड विद्वान था. अपने साम्राज्य की जनता के लिए एक कुशल प्रशासक था. कहते हैं कि रावण की मौत से ठीक पहले राम ने भ्राता लक्ष्मण को रावण के पास ज्ञानार्जन के लिए भेजा था. आप भी जान लें कि रावण ने लक्ष्मण को क्या-क्या सीख दी.
1. अपने सारथी, दरबान, खानसामे और भाई से दुश्मनी मोल मत लीजिए. वे कभी भी नुकसान पहुंचा सकते हैं.
2. खुद को हमेशा विजेता मानने की गलती मत कीजिए, भले ही हर बार तुम्हारी जीत हो.
3. हमेशा उस मंत्री या साथी पर भरोसा कीजिए जो तुम्हारी आलोचना करती हो.
4. अपने दुश्मन को कभी कमजोर या छोटा म त समझिए, जैसा कि हनुमान के मामले में भूल हूई.
5. यह गुमान कभी मत पालिए कि आप किस्मत को हरा सकते हैं. भाग्य में जो लिखा होगा उसे तो भोगना ही पड़ेगा.
6. ईश्वर से प्रेम कीजिए या नफरत, लेकिन जो भी कीजिए , पूरी मजबूती और समर्पण के साथ.
7. जो राजा जीतना चाहता है, उसे लालच से दूर रहना सीखना होगा, वर्ना जीत मुमकिन नहीं.
8. राजा को बिना टाल-मटोल किए दूसरों की भलाई करने के लिए मिलने वाले छोटे से छोटे मौके को हाथ से नहीं निकलने देना चाहिए.