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सोमवार को पंजाब में हुए आतंकी हमले के दौरान दुश्मनों से लोहा लेते वक्त शहीद हुए गुरदासपुर के एसपी-डिटेक्टिव बलजीत सिंह को नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई. कपूरथला में उनके निवास स्थान पर बड़ी संख्या में लोगों ने नम आंखों से देश के इस वीर सपूत को अंतिम विदाई दी.
पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल भी शहीद को अंतिम प्रणाम करने उनके घर पहुंचे. बलजीत सिंह मूल रूप से थाना शाहकोट के गांव ढंडोवाल के रहने वाले थे. लगभग 12 साल पहले उनका परिवार कपूरथला शहर के संतपुरा मोहल्ले में बस गया था.
परिवार में शहादत की परंपरा
आतंकी हमले में गुरदासपुर के दीनानगर में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए पुलिस अधीक्षक बलजीत सिंह के परिवार में देश के लिए शहादत देने की परंपरा रही है. उनके पिता व भाई भी पुलिस में थे और आतंकवादियों से मोर्चा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे. 1886 में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए मोगा में उनके पिता अच्छर सिंह शहीद हुए थे. 1991 में उनके भाई मनप्रीत सिंह तरनतारन में आतंकियों की गोली के शिकार हुए थे.
घुटना टेकना मंजूर नहीं
बलजीत सिंह को कभी घुटना टेकना मंजूर नहीं था. वह बतौर एसपी (ट्रैफिक) तीन माह तरनतारन में भी तैनात रहे थे. इस अल्प समय में ही यहां चर्चा में रहे थे. उन्होंने खादी से कभी भी खाकी को दबने नहीं दिया. अकाली सरकार होते हुए भी वहां एक अकाली विधायक की घुड़की के समक्ष तने रहे. दबाब के बाद उन्हें विधायक की शिकायत अनुसूचित जाति आयोग से शिकायत करनी पड़ी थी. हालांकि, इस मामले के कुछ दिनों बाद इनका तबादला हो गया. यहीं से स्थानांतरित होकर उन्होंने गुरदासपुर में पदभार संभाला था.
बेटे की शादी की हो रही थी तैयारी
बलजीत सिंह कपूरथला के रहनेवाले थे और उनके परिवार में पत्नी के बेटा मनिंदर सिंह (24 साल), बेटियां परमिंदर कौर (22 साल) और रविंदर कौर (20 साल) हैं. उनके पुत्र मनिंदर की शादी होनेवाली थी, इसी कारण आजकल घर में खुशियों का माहौल था. अचानक इस घटना ने परिवार के सारी खुशियों को चकनाचूर कर दिया.