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तीन तलाक बिल पर आज राज्यसभा में मोदी सरकार की अग्निपरीक्षा, कांग्रेस पर नजर

सरकार चाहती है कि लोकसभा में जिस तरह से यह बिल पास हुआ है, राज्यसभा भी उस बिल को बिना किसी बदलाव के ठीक उसी तरह पास करवा दे. इसे राष्ट्रपति के पास दस्तखत के लिए भेजा जा सके और यह फौरन कानून बन सके.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
अंकुर कुमार/बालकृष्ण
  • नई दिल्ली ,
  • 03 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 8:08 AM IST

राज्यसभा में तीन तलाक बिल बुधवार को पेश होगा और सरकार इस पर बहस भी कराएगी. पहले यह बिल मंगलवार को ही राज्यसभा में आना था, लेकिन विपक्षी दलों में आम राय नहीं हो पाने के कारण सरकार ने इसे मंगलवार को पेश करना उचित नहीं समझा. क्या बुधवार को तीन तलाक बिल के कानून बन पाने का रास्ता साफ होगा या नहीं?, इसको लेकर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है. मंगलवार की शाम को राज्यसभा के कार्य मंत्रणा समिति की इस बारे में बैठक हुई, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका.

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सरकार चाहती है कि लोकसभा में जिस तरह से यह बिल पास हुआ है, राज्यसभा भी उस बिल को बिना किसी बदलाव के ठीक उसी तरह पास करवा दे. इसे राष्ट्रपति के पास दस्तखत के लिए भेजा जा सके और यह फौरन कानून बन सके.

राज्यसभा की कार्यमंत्रणा समिति में सरकार ने विपक्षी पार्टियों को बताया कि यह बिल सरकार की प्राथमिकता में शामिल है और सरकार इसे हर हालत में जल्दी से जल्दी पास कराना चाहती है. विपक्षी पार्टियों की तरफ से सरकार को कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला कि वह इस बिल को सेलेक्ट कमेटी भेजने या फिर इसमें कुछ संशोधन करने के लिए सदन में दबाव नहीं डालेंगे.

कांग्रेस पार्टी, समाजवादी पार्टी, डीएमके समेत कई विपक्षी दल ऐसे हैं जो सीधे सीधे इस बिल का विरोध तो नहीं कर रहे हैं, लेकिन चाहते हैं कि इस पर और विचार विमर्श करने के लिए इसे राज्यसभा की सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए. इन विपक्षी पार्टियों का तर्क है कि इस दिल में तीन तलाक की हालत में पति को 3 साल तक के लिए जेल भेजने का जो प्रावधान है वह गैर जरूरी है. इससे मामला सुलझने के बजाय और ज्यादा उलझ जाएगा. विपक्षी नेताओं का कहना है कि सिविल मामले को क्रिमिनल मामला बनाना ठीक नहीं है, क्योंकि ऐसे कानून का दुरुपयोग भी हो सकता है.

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सरकार का कहना है कि यह बेहद छोटा सा कानून है जोकि सुप्रीम कोर्ट के कहने पर बनाया जा रहा है और इसमें हर स्थिति से निपटने के लिए इंतजाम किए गए हैं.

सूत्रों के मुताबिक सरकार विपक्षी पार्टियों के इस असमंजस का फायदा उठाना चाहती है कि अगर वह बिल का विरोध करेंगे तो महिला विरोधी कहलाएंगे और उन पर कट्टरपंथी होने का आरोप भी लगेगा. कांग्रेस पार्टी पहले से ही लोकसभा में बहस के दौरान बार-बार शाहबानो के मामले का जिक्र होने की वजह से बैकफुट पर है और इस मामले में ज्यादा अड़ंगा नहीं लगाना चाहती. बीजेपी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने साफ कहा कि इस बिल को लेकर सरकार के दोनों हाथों में लड्डू है अगर बिल पास होता है तो सरकार को इसका श्रेय मिलेगा और अगर विपक्षी पार्टियां इस बिल को पास नहीं होने देती हैं तो उन को बेनकाब करने का हमें मौका मिलेगा.

जानकारों के मुताबिक अगर सरकार इस बिल को बुधवार को पास नहीं करा पाती है और विपक्षी पार्टियां इस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने पर जोर देती हैं तो सरकार इसे सेलेक्ट कमेटी में भेजने के लिए तैयार हो जाएगी. राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है, लेकिन यह एक ऐसा बिल है जिसके पास नहीं हो पाने की हालत में भी सरकार इसका राजनीतिक फायदा उठाएगी और इसका विरोध करने वालों को आगे आने वाले चुनाव में निशाना बनाएगी.

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