Advertisement

उपराष्ट्रपति की पत्नी सलमा अंसारी ने तीन तलाक को बताया गलत, बोलीं-कुरान में ऐसा कुछ भी नहीं लिखा

तीन तलाक के खिलाफ मुस्लिम महिलाओं के एक धड़े की तरफ उठ रही आवाज़ का उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की पत्नी सलमा अंसारी ने भी समर्थन किया है. सलमा अंसारी ने तीन तलाक को बेमानी बताते हुए कहा कि कुरान में ऐसा कुछ भी नहीं लिखा है. इसके साथ ही उन्होंने मुस्लिम महिलाओं से कुरान को पढ़ने के साथ समझने को कहा, जिससे कि कोई मौलाना उन्हें गुमराह न कर सकें.

उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की पत्नी सलमा अंसारी उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की पत्नी सलमा अंसारी
साद बिन उमर
  • अलीगढ़,
  • 08 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 7:43 AM IST

तीन तलाक के खिलाफ मुस्लिम महिलाओं के एक धड़े की तरफ उठ रही आवाज़ का उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की पत्नी सलमा अंसारी ने भी समर्थन किया है. सलमा अंसारी ने तीन तलाक को बेमानी बताते हुए कहा कि कुरान में ऐसा कुछ भी नहीं लिखा है. इसके साथ ही उन्होंने मुस्लिम महिलाओं से कुरान को पढ़ने के साथ समझने को कहा, जिससे कि कोई मौलाना उन्हें गुमराह न कर सकें.

Advertisement

अलीगढ़ में अल नूर चैरिटेबल सोसायटी की तरफ से चलाए जा रहे चाचा नेहरू मदरसे के कार्यक्रम में शरीक होने आईं सलमा अंसारी ने यहां पत्रकारों से बातचीत में यह बात कही. उन्होंने कहा, 'बस किसी के तीन बार तलाक, तलाक, तलाक बोले देने से तलाक नहीं हो जाता. कुरान पढ़ा है तो खुद ही उसका हल मिल जाएगा. कुरान में तो ऐसा कुछ भी नहीं लिखा है. इसको बना रखा है बेकार का मुद्दा. जिन्होंने कुरान नहीं पढ़ा उनको मालूम ही नहीं है.'

अंसारी ने इसके साथ ही कहा, 'आप अरबी में कुरान पढ़ते है, और ट्रांस्लेशन तो पढ़ते नहीं आप लोग. जो मुल्ला-मौलाना ने कहा, आपने उसे सच मान लिया. कुरान पढ़के देखिए, हदीस पढ़कर देखिए कि रसूल ने क्या कहा.' उन्होंने कहा, 'मैं तो यह कहती हूं कि औरतों में इतनी हिम्मत होनी चाहिए कि खुद कुरान पढ़ें, उसके बारे में सोचें, उसके बारे में ज्ञान हासिल करें कि रसूल ने क्या कहा, शरीयत क्या कहता है. किसी को ऐसे ही फॉलो नहीं करना चाहिए.'

Advertisement

बता दें कि मुस्लिम समुदाय में जारी तीन तलाक की प्रथा का पिछले कुछ समय से सुर्खियों में है. इस प्रथा को फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है और 11 मई को एक संविधान पीठ मामले की अगली सुनवाई होने वाली है.

वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तीन तलाक को लेकर अपने रुख पर अड़ा हुआ है. बोर्ड ने 27 मार्च को सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि मुस्लिमों के बीच प्रचलित इन परंपराओं को चुनौती देने वाली याचिकाएं विचारणीय नहीं हैं, क्योंकि ये मुद्दे न्यायपालिका के दायरे के बाहर के हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement