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क्‍या पैगम्‍बर मोहम्‍मद ने ट्रिपल तलाक के बारे में कुछ कहा था?

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद ट्रिपल तलाक पर फिर बहस छिड़ गई है. कुछ कह रहे हैं ये बैन होना चाहिए तो कुछ लोग इसके पक्ष में हैं. पर आज हम इसके एक और पक्ष से आपको रूबरू कराते हैं.

मुस्लिम युवती मुस्लिम युवती

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद ट्रिपल तलाक पर फिर बहस छिड़ गई है. कुछ कह रहे हैं ये बैन होना चाहिए तो कुछ लोग इसके पक्ष में हैं. पर आज हम इसके एक और पक्ष से आपको रूबरू कराते हैं. ये पक्ष है इसके मान्‍य या अमान्‍य होने का.

इंडियन एक्‍सप्रेस में छपी खबर के अनुसार, ट्रिपल तलाक के बारे में पैंगबर मोहम्‍मद ने कुछ कहा ही नहीं था. अपनी सहूलियत के लिए पुरुषों ने इसे बाद में इजाद किया.

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इसके अलावा, दुनिया में कई ऐसे मुस्लिम देश हैं, जहां बरसों पहले ही ट्रिपल तलाक को बैन कर दिया गया था. इन देशों की संख्‍या 1 या 2 नहीं है बल्कि लंबी लिस्‍ट है. इसमें तुर्की, पाकिस्‍तान और बांग्‍लादेश जैसे देशों के नाम भी शामिल हैं.

कहां से आया तलाक

तलाक की जड़े अरबी भाषा में हैं. जहां इस शब्‍द का अर्थ होता है, 'किसी बंधन से मुक्‍त होना'. इसे शब्‍द 'तलाका' से लिया गया, जिसका शाब्दिक अर्थ मुक्‍त होना होता है. एक महिला के संदर्भ में इसका अर्थ है कि उसका पति उसे शादी के बंधन से मुक्‍त कर रहा है. वह साफ तौर पर रिश्‍ता खत्‍म होने की बात कह रहा है.

इस्‍लाम में कितनी तरह के तलाक

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इस्‍लाम के जानकार कहते हैं कि इस्‍लामिक कानून के तहत दो तरह के तलाक होते हैं- तलाक अल सुन्‍ना (जिसे पैंगबर मोहम्‍मद के हुक्‍म के अनुसार किया जाता है) और दूसरा, तलाक अल-बिदत (जिसे बाद में पैगंबर मोहम्‍मद के कठिन हुक्‍मों के कारण हो रही दिक्‍कतों से बचने के लिए आरंभ किया गया). इंडियन एक्‍सप्रेस के अनुसार, बाद में इसे दो तरीकों में विभाजित कर दिया गया. पहला, जिसमें तीन बार तलाक कहकर तलाक लिया जाता है और दूसरा जिसमें लिखित तौर पर तलाक दिया जाता है. इस्‍लामिक लॉ ऑफ डाइवोर्स को समझाते हुए, इंडियन लॉ इंस्‍टीट्यूट में रिसर्च एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्‍टर फुरकान अहमद लिखते हैं, 'तलाक अल बिदत दसूरी शताब्‍दी में आरंभ हुआ, जब ओमयाद शासकों को लगा कि तलाके कि नयम बहुत कठिन हैं और इस कठिनता से बचने के लिए उन्‍होंने ये तरीका खोजा.' वे आगे कहते हैं कि इस बात को ध्‍यान रखना चाहिए कि ट्रिपल तलाक इस्‍लाम के अनुसार नहीं है बल्कि इसे ओमयाद ने आरंभ किया और तलाक देने के लिए जायज तरीका भी ठहराया.

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इन देशों में है बैन

आपको जानकर हैरानी होगी पर ये सच है कि पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश, तुर्की, मिस्र में तलाक देने का ये तरीका वैध नहीं है. इसके अलावा ट्यूनीशिया, अल्‍जीरिया, श्री लंका में भी ये अमान्‍य है.

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