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देसाई करेंगी हाजी अली दरगाह का रूख, शिवसेना नेता ने दी चप्पल चलाने की चेतावनी

शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की कामयाबी के बाद भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड मुंबई के हाजी अली दरगाह का रूख करनेवाली है. ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति देसाई के इस ऐलान के बाद शिवसेना नेता हाजी अराफात अली ने उन्हें चप्पल से पीटने की चेतावनी दी है.

साल 1631 में बना था हाजी अली दरगाह, 2011 से महिलाओं पर पाबंदी साल 1631 में बना था हाजी अली दरगाह, 2011 से महिलाओं पर पाबंदी
केशव कुमार
  • मुंबई,
  • 23 अप्रैल 2016,
  • अपडेटेड 6:22 PM IST

शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की कामयाबी के बाद भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड मुंबई के हाजी अली दरगाह का रूख करनेवाली है. ब्रिगेड की अध्यक्ष तृप्ति देसाई के इस ऐलान के बाद शिवसेना नेता हाजी अराफात अली ने उन्हें चप्पल से पीटने की चेतावनी दी है. देसाई की टीम ने त्रयंबकेश्वर मंदिर के गर्भगृह में जाकर पूजा करने में भी कामयाबी पाई है.

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पीएम मोदी से मिलेंगी तृप्ति देसाई
देसाई ने कहा कि हिंदू महिलाओं के पूजा-पाठ के हक के बाद वह अब मुस्लिम औरतों के लिए भी संघर्ष करेंगी. उन्होंने कहा कि 28 अप्रैल से हाजी अली दरगाह में महिलाओं के प्रवेश के लिए आंदोलन शुरू करेंगी. इसमें दिक्कत आने पर देसाई ने कहा है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर उनतक अपनी बात पहुंचाएंगी.

इन 7 बातों से जानें, कौन हैं तृप्ति देसाई?

दरगाह आईं तो देसाई को पीटने का ऐलान
देसाई के इस ऐलान के बाद शिवसेना नेता हाजी अराफात ने उनकी कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा कि तृप्ति देसाई की इस ऐलान से मुस्लिमों में असंतोष पैदा हो रहा है. वे लोग देसाई को दरगाह में जाने या उसे छूने की इजाजत नहीं देंगे. जरूरत पड़ने पर उनके खिलाफ कड़े कदम उठाने की बात भी कही गई है. अराफात ने कहा कि उन्हें दरगाह में चप्पलों का प्रसाद दिया जाएगा.

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गैरजरूरी तरीके से विवाद बढ़ा रही हैं तृप्ति देसाई
अराफात ने कहा कि मौजूदा वक्त में महाराष्ट्र में कन्या भ्रूण हत्या, महिलाओं के शोषण और उनकी सुरक्षा के साथ ही सूखे का गंभीर मुद्दा छाया हुआ है. इस सबको छोड़कर तृप्ति देसाई और उनकी टीम सिर्फ धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश के मामले को विवादित ढंग से बढ़ावा दे रही हैं. यह सही मुहिम नहीं है.

साल 2011 तक दरगाह में जाती रही महिलाएं
हाजी अली दरगाह में महिलाओं के घुसने पर रोक के ट्रस्ट के फैसले के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई है. दरगाह में महिलाओं के आने की इजाजत को साल 2011 के बाद रोका गया. इसके पहले वहां महिलाओं के जाने की इजाजत थी. हाजी अली शाह बुखारी की दरगाह का निर्माण साल 1631 में हुआ था.

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