
बुर्का पहनने वाली मतदाताओं को लेकर बीजेपी की ओर से फर्जी मतदान की आशंका जताने और उसे रोकने के लिए अतिरिक्त महिला सुरक्षा बलों की तैनाती की चुनाव आयोग से मांग किए जाने पर मुस्लिम विद्वानों ने प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उनका कहना है कि ऐसी व्यवस्था पहले से ही है और इस तरह की मांग करना महज चुनावी हथकंडा है.
अरबी विद्वान और देवबंद के उलेमा नदीमुल वाजदी ने कहा है कि जहां तक फर्जी मतदान की आशंका जताना है तो वो एक गलत इल्जाम है. वाजदी ने कहा कि मतदान केंद्रों पर पहले से ही महिला सुरक्षाकर्मी तैनात रहती हैं जो बुर्का पहनने वाली महिलाओं के शिनाख्ती कार्ड पर लगी फोटो से मिलाने के लिए उनका चेहरा देखती हैं. चुनाव आयोग की ओर से भी इस काम के लिए महिलाएं नियुक्त की जाती हैं तो उसमें कोई हर्ज भी नहीं है. साफ सुथरे चुनाव के लिए जो संभव हो किया जाना चाहिए.
अलीगढ़ में जामिया उर्दू के ओएसडी फरहत अली खान ने बुर्कानशीं मतदाताओं की शिनाख्त के लिए बीजेपी की ओर से चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखे जाने को महज चुनावी हथकंडा बताया है. उनका कहना है कि इस तरह की बातें उन क्षेत्रों में मतदान धीमा करने के लिए की जाती हैं, जहां मुस्लिम मतदाता हैं.
फरहत अली खान कहते हैं कि अगर बुर्का पहनने वाली महिलाओं की मतदान के समय चेहरा देखकर शिनाख्ती कार्ड की तस्वीर से मिलाया जाता है तो इसमें कोई ऐतराज नहीं हैं. लेकिन ऐसा करने की इजाजत सिर्फ महिला सुरक्षा कर्मियों और पोलिंग बूथ पर तैनात महिला स्टाफ को ही होनी चाहिए. किसी पुरुष को ऐसा करने की इजाजत हर्गिज नहीं दी जा सकती.
यूपी बीजेपी के उपाध्यक्ष जेपीएस राठौर और पार्टी प्रशासनिक कार्य प्रमुख कुलदीप पति त्रिपाठी की ओर से चुनाव आयोग को भेजी चिट्ठी में कहा गया है कि वोटिंग के दौरान बड़ी संख्या में महिला मतदाता बुर्का पहनकर बूथों तक आती हैं. इसकी वजह से इन वोटरों की शिनाख्त के लिए संवेदनशील जगहों पर अतिरिक्त महिला सुरक्षा बलों की तैनाती जरुरी है. चिट्ठी के साथ बलिया और मऊ जिलों के संवेदनशील और अति संवेदनशील बूथों की सूची भी भेजी गई है.