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200 करोड़ बच्‍चे ले रहे जहरीली हवा में सांस, 5 लाख से ज्‍यादा की अब तक मौत: UNICEF

दुनिया भर में वायु प्रदूषण के कारण बच्‍चों की मौत हो रही है. यह बात  UNICEF की एक नई स्‍टडी में सामने आई है. इसमें और भी कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं...जानिए पूरी डिटेल्‍स

वायु प्रदूषण वायु प्रदूषण
मेधा चावला
  • नई दिल्‍ली,
  • 01 नवंबर 2016,
  • अपडेटेड 2:46 PM IST

दिवाली के बाद देश की राजधानी में वायु प्रदूषण के बढ़े स्‍तर से लोगों का दम घुट रहा है. पर वायु प्रदूषण अब पूरी दुनिया के लिए चुनौती बन रहा है. हाल में प्रकाशित UNICEF की रिपोर्ट से तो यही लगता है.

इसमें बताया गया है कि दुनिया में 200 करोड़ बच्‍चे हर रोज जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं. और हर 7 में से 1 बच्‍चा ऐसे इलाके में रह रहा है जहां 'वायु में प्रदूषण का टॉक्सिक लेवल' चरम पर है. यानी तय मानका से यहां छह गुना से अधिक प्रदूषण है.रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह के इलाके दक्षिण एशिया और अफ्रीका में हैं. वहीं यूरोप और उत्‍तरी अमेरिका में काफी प्रदूषण बताया गया है.

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UNICEF के कार्यकारी निदेशक एंथनी लेक ने रिपोर्ट में कहा है, चौंकाने वाली बात यह है कि इस वैश्‍विक प्रदूषण के कारण 2012 में हर 8 में से 1 मौत हुई है. पूरे विश्‍व में इन मौतों का आंकड़ा 7 मिलियन है जिनमें से 5 साल से कम उम्र के 6 लाख बच्‍चे शामिल हैं. अगर इस आधार पर देखा जाए तो हर साल प्रदूषण से इतनी मौतों की संभावना है.

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बच्‍चों को ज्‍यादा खतरा
वायु प्रदूषण से सबसे ज्‍यादा खतरा बच्‍चों को है क्‍योंकि उनके लंग्‍स, दिमाग और इम्‍य‍ून सिस्‍टम विकासात्‍मक स्‍टेज में होते हैं. प्रदूषित हवा के कारण उन्‍हें अस्‍थमा या सांस संबंधी कई दिक्‍कतें भी शुरू हो जाती हैं. लेक कहते हैं कि कई अध्‍ययनों में पाया गया है कि प्रदूषण के कारण छोटे-छोटे पार्टिकल्‍स दिमाग में रक्‍त के प्रवाह को बाधित कर सकते हैं, जिससे ब्रेन टिश्‍यू नष्‍ट हो सकते हैं या दिमागी विकास बाधित हो सकता है.

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