
वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में इनकम टैक्स के प्रावधानों को लेकर जितना भ्रम है उतना शायद ही किसी साल रहा हो. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कर दरों को घटाते हुए नया टैक्स स्लैब बना दिया है और टैक्सपेयर्स को नया या पुरान स्लैब चुनने का विकल्प दिया गया है. टैक्स मामलों के जानकार कहते हैं कि ज्यादातर लोग पुराने टैक्स स्लैब को अपनाना चाहेंगे. सच तो यह है कि ज्यादातर नौकरीपेशा लोगों को नया टैक्स स्लैब अपनाने से नुकसान हो सकता है. आइए जानते हैं कि ऐसा किस तरह से होगा.
क्या है सरकार की सोच
सीए विनोद जैन कहते हैं, 'सरकार चाहती है कि इनकम टैक्स सिस्टम का सरलीकरण हो जाए. जिन लोगों ने किसी तरह का निवेश नहीं किया है तो उन्हें भी फायदा मिलना चाहिए. इसके पहले कॉरपोरेट को बड़ी छूट दी गई तो हर तरफ से यह बात हो रही थी कि आम करदाताओं को भी फायदा मिले.'
उन्होंने कहा, 'नया स्लैब ऐसे नौकरीपेशा लोगों के लिए फायदेमंद नहीं है जो पीएफ, बीमा, होम लोन आदि में निवेश करते हैं. एलटीए, हाउस रेंट, स्टैंडर्ड डिडक्शन, मेडिकल जैसे 80 सी, 2 लाख रुपये आदि के निवेश पर छूट भी नहीं मिलेगी. बहुत से लोग इन साधनों में निवेश नहीं करते, अगर किसी व्यक्ति को लगता है कि किसी एक साल में उसका किसी तरह का निवेश नहीं है तो वह नया विकल्प अपना सकता है, बाद में किसी साल उसे लगता है कि उसका काफी निवेश है तो वह पुराने विकल्प पर जा सकता है.'
ग्लोबल टैक्सपेयर्स एसोसिएशन के चेयरमैन और पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री-यूपी के को-चेयरमैन मनीष खेमका कहते हैं, 'इनकम टैक्स व्यवस्था में बदलाव असल में भविष्य की दिशा तय करने के लिए लिहाज से उठाया गया कदम है. सरकार चाहती है कि टैक्स व्यवस्था पूरी तरह से सरल हो, इसलिए तरह-तरह की रियायतें देने की जटिलता को दूर किया जा रहा है. आगे ऐसा सिस्टम होगा जिसमें टैक्स रेट कम हों और तरह-तरह के निवेश मिलने वाले फायदे को दिखाने का झंझट न हो. इससे उन नए प्रोफेशनल्स को खासकर फायदा होगा, जिनको अच्छा वेतन मिलता है, लेकिन वे कहीं निवेश नहीं करते, ऐसे लोगों का काफी टैक्स कट जाता था. वित्त मंत्री ने उन्हें राहत दी है.'
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क्यों होगा नुकसान
असल में ज्यादातर नौकरीपेशा लोगों का अच्छा खासा निवेश, एलटीए, पीएफ, होम लोन, जीवन बीमा आदि में होता है. साल भर में एक अच्छी खासी रकम इस मद में जाती है, तो स्वाभाविक है कि ऐसे लोग नया टैक्स स्लैब नहीं अपनाना चाहेंगे और निवेश के बदले मिलने वाली छूट का फायदा उठाते हुए पुराने टैक्स स्लैब में बने रहेंगे.
टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन कहते हैं, 'इस बजट में टैक्स के मामले में कई तरह की रियायतें खत्म कर दी गई हैं. इसलिए अगर फायदे की बात करें तो यह बहुत ज्यादा नहीं होने वाला है. यह एक बेकार की कवायद है जिसका कोई मतलब नहीं है. किसी भी व्यक्ति को नई व्यवस्था में ऐसे डिडक्शन और छूट को छोड़ने से होने वाले लाभ या हानि को समझने के लिए टैक्स एक्सपर्ट की मदद लेनी ही होगी. दूसरा, कोई व्यक्ति पुरानी व्यवस्था में मिलने वाले छूट का लाभ छोड़ना नहीं चाहेगा. ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो 80C के तहत मिलने वाल छूट का फायदा नहीं लेता है. पुरानी व्यवस्था में 50,000 रुपये तक का स्टैंडर्ड डिडक्शन, एलटीए, होम लोन पर दिए जाने वाले ब्याज, सीनियर सिटीजन को ब्याज आय पर मिलने वाली 50,000 रुपये तक की छूट शामिल होती है, जिसे नई टैक्स व्यवस्था का लाभ लेने के लिए छोड़ना होगा.'
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हम अलग-अलग सैलरी के हिसाब से आकलन करते हैं कि किसी व्यक्ति को नए और पुराने टैक्स स्लैब को अपनाने से क्या फायदा या नुकसान होगा.
अगर किसी की सैलरी 10 लाख रुपये है
पुराना टैक्स स्लैब
अगर ऐसा व्यक्ति किसी तरह का निवेश नहीं करता है तो उसे पुराने स्लैब के हिसाब से कुल 1,12,500 रुपये का टैक्स देना होगा. लेकिन अगर इसमें से 50 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन घटा दें, उसने 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपये, मेडिक्लेम के तहत 25 हजार रुपये और होम लोन का साल में 2 लाख ब्याज देता है तो उसका टैक्स घटकर महज 27,500 रुपये रह जाएगा.
नया टैक्स स्लैब
नए टैक्स स्लैब के हिसाब से 10 लाख रुपये इनकम करने वाले व्यक्ति का कुल टैक्स महज 75,000 रुपये होगा.
इस तरह अगर ऐसा व्यक्ति नए टैक्स स्लैब को अपनाता है तो उसे साल में 47,500 रुपये का नुकसान होगा.
अगर किसी व्यक्ति की सैलरी 12.5 लाख रुपये सालाना है
पुराना टैक्स स्लैब
पुराने टैक्स स्लैब के मुताबिक अगर हम स्टैंडर्ड डिडक्शन को न जोड़ें और मान लें कि इस व्यक्ति ने किसी तरह का निवेश नहीं किया है तो उसका कुल टैक्स 1,87,500 रुपये का होगा. लेकिन अगर इसमें से 50 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन घटा दें, और उसने 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपये, मेडिक्लेम के तहत 25 हजार रुपये और होम लोन का साल में 2 लाख ब्याज दिया है तो उसका टैक्स घटकर महज 77,500 रुपये रह जाएगा.
नया टैक्स स्लैब
नए टैक्स स्लैब के मुताबिक 12.5 लाख रुपये सैलरी वाले व्यक्ति को कुल 1,25,000 रुपये का टैक्स देना होगा.
इस प्रकार ऐसे व्यक्ति को नया टैक्स स्लैब अपनाने से 47,500 रुपये का नुकसान होगा.
अगर किसी की सालाना सैलरी 15 लाख रुपये है
पुराना टैक्स स्लैब
अगर ऐसा व्यक्ति किसी तरह का निवेश नहीं करता और स्टैंडर्ड डिडक्शन को न जोड़ें तो पुराने टैक्स स्लैब के हिसाब से उसे कुल 2,62,500 रुपये का टैक्स देना होगा. लेकिन अगर इसमें से 50 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन घटा दें, और उसने 80 सी के तहत 1.5 लाख रुपये, मेडिक्लेम के तहत 25 हजार रुपये और होम लोन का साल में 2 लाख ब्याज दिया है तो उसका टैक्स घटकर महज 1,35,000 रुपये रह जाएगा.
नया टैक्स स्लैब
नए टैक्स स्लैब में ऐसे व्यक्ति का कुल 1,87,500 रुपये का टैक्स लगेगा.
यानी नए टैक्स स्लैब को अपनाने से ऐसे व्यक्ति को 52,500 रुपये का नुकसान होगा.
(कैलकुलेशन सीए अंकित की जानकारी पर आधारित, इसमें 4 फीसदी के सरचार्ज को शामिल नहीं किया है)