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भारत के भीतर उच्च शिक्षा में स्वायत्ता का मामला हमेशा से ही विचार और विमर्श का विषय रहा है. यहां नेशनल एसेसमेंट एंड एक्रीडिटेशन काउंसिल (NAAC) और मानव संसाधन मंत्रालय की नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) जैसे संस्थाएं संस्थानों के ग्रेडिंग और स्वायत्ता का निर्धारण करती हैं.
फिक्की उच्च शिक्षा समिट के एक समारोह में मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में न्यूनतम रेगुलेशन और अधिकतम स्वायत्ता तय की जाएगी. इसमें वे कई तरह के बदलाव की कोशिश करेंगे.
वे आगे कहते हैं कि आईआईटी जैसे संस्थानों को उच्चतर आविष्कार योजना (UAY) के लिए नए उपाय ढूंढने चाहिए. यह स्टूडेंट्स को वास्तविक और जरूरी ट्रेनिंग देगा. वे ऐसे में अपने हॉस्टल के कमरों से ही स्टार्ट अप की शुरुआत कर सकेंगे.
इससे पहले इस कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए आंध्र प्रदेश के मुख्य मंत्री चंद्र बाबू नायडू ने कहा कि दुनिया चौथे औद्योगिक क्रांति के दौर में है. इंटरनेट और तकनीक के साथ-साथ सेंसर, रोबोटिक्स और मशीनों के बारे में सीखना आज की जरूरत है. ऐसे में नए चैलेंज का सामना करने के लिए नई सोच और नए मिजाज के लोगों को आगे आने की जरूरत है.
इस समिट में रीता तेवतिया कहती हैं कि देश के 2,30,000 स्टूडेंट भारत से बाहर पढ़ने जा रहे हैं. इस क्रम में वे 100,000 रुपये सीधे अमेरिका को जाते हैं. वे अमेरिकी 17 बिलियन डॉलर खर्च की बात कहते हैं. वे इसी क्रम में देश की शिक्षा व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव की बात कहते हैं ताकि स्टूडेंट्स की बढ़ती मांगों को पूरा किया जा सके.