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बिना सरेंडर SSP आवास से लौटे BJP विधायक सेंगर, कहा- बुलाएंगे तो आ जाऊंगा

एसएसपी आवास के बाहर कुलदीप सेंगर की एक पुलिस अधिकारी से मुलाकात हुई. इस दौरान उन्होंने कहा कि मुझे भगोड़ा कहा जा रहा था, इसलिए यहां आया हूं.

आरोपी विधायक कुलदीप सेंगर आरोपी विधायक कुलदीप सेंगर
राहुल विश्वकर्मा/कुमार अभिषेक
  • लखनऊ,
  • 11 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 12:35 AM IST

उन्नाव गैंगरेप मामले की जांच एसआईटी ने पूरी कर ली है. एसआईटी ने आज शाम अपनी अंतरिम रिपोर्ट डीजीपी को सौंप दी. जिसके बाद आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर लखनऊ के एसएसपी आवास पहुंचे. बताया जा रहा था कि वह सरेंडर करने के लिए गए हैं. लेकिन एसएसपी आवास पहुंचकर उन्होंने कहा कि उनके बारे में फरार होने की खबरें चलाई जा रही हैं, इसलिए वो सबके सामने आए.

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एसएसपी आवास के बाहर कुलदीप सेंगर की एक पुलिस अधिकारी से मुलाकात हुई. इस दौरान उन्होंने कहा कि मुझे भगोड़ा कहा जा रहा था इसिलए यहां आया हूं. उन्होंने एसएसपी आवास पर मौजूद पुलिस अधिकारी से कहा कि मेरी जब जरूरत पड़ेगी, मैं उपलब्ध हूं. कुलदीप सेंगर ने ये भी कहा कि मुझे सरेंडर के लिए किसी ने नहीं बुलाया है.

इससे पहले विधायक कुलदीप सेंगर ने कहा कि जांच रिपोर्ट का उन्हें नहीं पता है. उन्होंने कहा बार-बार मेरे फरार होने की बात कही जा रही है, इसलिए मैं ऐसा कर रहा हूं. मुझ पर रेप का आरोप लगाया है, जो कि एक साजिश है. मैं ऐसा सपने में भी नहीं सोच सकता हूं.

एसएसपी आवास जाने से पहले सेंगर अस्पताल में भर्ती अपनी पत्नी से मिलने पहुंचे. पत्नी से मिलने के बाद सेंगर सरेंडर करने के लिए सीधे एसएसपी आवास पहुंचे.

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विधायक के खिलाफ नहीं मिले सबूत

लखनऊ रेंज के एडीजी राजीव कृष्ण ने उन्नाव से लौटकर अंतरिम रिपोर्ट डीजीपी को बुधवार शाम सौंप दी है. ये रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय भेज दी जाएगी. सूत्रों के मुताबिक एसआईटी को जांच में आरोपी विधायक के खिलाफ गैंगरेप के पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं. हालांकि रिपोर्ट में एसआईटी ने माना कि भाजपा विधायक के चलते जांच प्रभावित हुई है. लिहाजा उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है.

पुलिस को माना दोषी

एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इस मामले की जांच कर रही पुलिस ने कई अनियमितताएं कीं. रिपोर्ट में पुलिस को दोषी ठहराते हुए कहा गया कि विधायक के भाई के पक्ष में एकतरफा जांच की गई. इसके अलावा पीड़िता और उसके परिवार के बयान में भी अंतर पाया गया है.

योगी को सौंपी जाएगी SIT की रिपोर्ट

एसआईटी ने गैंगरेप मामले में आरोपी विधायक से बिना पूछताछ किए अपनी अंतरिम रिपोर्ट सूबे के डीजीपी को सौंप दी है. माना जा रहा कि रिपोर्ट मिलने के बाद विधायक कुलदीप सेंगर पर मामला दर्ज हो सकता है. पांच सदस्यों की एसआईटी ने पीड़िता और उसके परिवार के बयान दर्ज किए हैं. अब ये रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी जाएगी.

कांग्रेस करेगी मुख्यमंत्री आवास का घेराव

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इधर कांग्रेस इस मामले को लेकर कल यानि गुरुवार को मुख्यमंत्री के घर का घेराव करने की तैयारी कर ली है. महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव के साथ प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर और अन्य नेता भी इस प्रदर्शन में शामिल होंगे.

आरोपी विधायक की पत्नी हुई बेहोश

शाम को आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर की पत्नी संगीता की तबीयत बिगड़ गई. उन्हें फौरन बेहोशी की हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है. सुबह ही उन्होंने यूपी के DGP ओपी सिंह से मिलकर कहा था कि उनके पति निर्दोष हैं. उनको रेप केस में जानबूझकर फंसाया जा रहा है. पीड़िता और आरोपी का नार्को टेस्ट होना चाहिए.

सुबह की गई थी पूछताछ

केस की जांच के लिए गठित एसआईटी और एडीजी लखनऊ जोन राजीव कृष्ण ने बुधवार सुबह पीड़िता के गांव पहुंचकर बयान दर्ज किए. बताया जा रहा कि पीड़िता और उसके परिवार को किसी की गुप्त जगह ले जाकर पूछताछ की गई है. उन्नाव गैंगरेप केस के बारे में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वयं संज्ञान लिया है. गुरुवार को चीफ जस्टिस इस मामले में सुनवाई करेंगे. कोर्ट ने यूपी सरकार को पूरी रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है.

पीड़िता ने योगी से मांगा इंसाफ

पीड़िता ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इंसाफ की मांग की है. उसका कहना है कि जिलाधिकारी ने उसको और उसके परिवार को होटल में रखा हुआ है. वहां उनको पानी तक नहीं पूछा जा रहा है. उसकी जिंदगी को नर्क बनाने वाले बीजेपी विधायक को जल्द से जल्द गिरफ्तार करना चाहिए. दोषियों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए.

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मानवाधिकार आयोग ने तलब की रिपोर्ट

इस मामले में मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मानवाधिकार आयोग ने प्रदेश के मुख्य सचिव और उत्तर प्रदेश के डीजीपी से विस्तृत रिपोर्ट तलब कर ली है. इसके साथ ही रिपोर्ट में ये भी जानकारी देने को कहा है कि उन पुलिस कर्मियों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई, जिन्होंने एफआईआर दर्ज करने से इंकार किया था.

आयोग ने कहा है कि डीजीपी बताएं कि न्यायिक हिरासत में हुई मौत की रिपोर्ट आयोग को 24 घंटे के अंदर क्यों नहीं दी गई? इस मामले में मृतक की हेल्थ रिपोर्ट भी मांगी गई है, जब वह जेल में निरुद्ध किया गया था. इसके साथ ही पूछा गया कि जेल प्रशासन की तरफ से उसका क्या उपचार किया गया. ये रिपोर्ट चार सप्ताह के अंदर आयोग को भेजनी होगी.

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