
कहते हैं कि बेटा अपने पिता के नक्शे कदम पर चलता है. बिहार के गया में एमएलसी मनोरमा देवी के बेटे रॉकी यादव पर ये कहावत फिट बैठती है, जो एक हत्या का आरोपी है. उसके पिता बिंदी यादव पर मर्डर और किडनेपिंग के कई केस दर्ज हैं. उस पर कम से कम 17 आपराधिक मामले दर्ज हैं. उसको गया जिले में बाहुबली माना जाता है. उस पर नक्सलियों को हथियारों की सप्लाई करने का भी आरोप है. वह लंबे वक्त तक देशद्रोह के आरोप में जेल में बंद रहा. गया में एंट्री माफिया के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि बिहार-झारखंड की सीमा से गुजरने वाले ट्रकों से अवैध वसूली करने का आरोप है.
बिन्दी यादव का इतिहास जानने के लिए 1991-92 के उस दौर में जाना होगा, जब बिहार में आतंक का राज की शुरूआत हुई थी. यूं कहें कि उस दौर में जंगलराज का उदय हुआ था. उस दौर में वह आतंक का पर्याय बना. बिहार के लोग उस समय बिन्दी और बच्चू यादव गैंग से भयभीत रहा करते थे. एक साधारण परिवार में जन्मा बिन्दी यादव आज एक हजार करोड़ से अधिक संपत्ति का मालिक है. उसके पीछे आतंक की वही कहानी है, जिसकी बदौलत आज वो अरबपति बना हुआ है. गया शहर में दर्जनों मकान पर इस गिरोह ने कब्जा जमाया हुआ है. सरकार के कई एकड़ जमीन पर उसका कब्जा है.
ऐसे बन गया जुर्म की दुनिया का सरताज
उसके भय से उस जमाने में कई बड़े-बड़े बिजनेसमैन शहर छोड़ने को मजबूर हो गए. उसी का बेटा रॉकी लैंड रोवर पर सवार होकर निकलता है और जब गाड़ी को साइड नहीं मिलता, तो गोली मार देता है. ऐसे बाप के बेटे से और क्या उम्मीद की जा सकती है. उसने जो किया, अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए किया. बिहार के कुख्यात राजन कुर्मी की हत्या कर बिन्दी यादव गया का सरताज बन गया. उसके बाद हत्या लूट और अपहरण के धंधे में खूब तहलका मचाया. लालू-राबड़ी राज में उसकी करतूत उफान पर थी. बबली जैन अपहरण कांड में भी इसका नाम खूब उछला. बिन्दी और बच्चू यादव ने मिलकर पूरे मगध क्षेत्र में अपना वर्चस्व कायम किया.
नक्सलियों को सप्लाई करता था हथियार
बताते हैं कि गया के मोहनपुर ब्लाक के गणेश चक गांव में पैदा हुए बिन्दी यादव के पिता साधारण किसान थे. लेकिन पिछले 25 वर्षों में वह धन कुबेर हो गया. चार भाईयों में तीसरे नंबर का बिन्दी शुरू से ही आपराधिक प्रवृति का था. उसके नक्सलियों से संबंध थे. वो नक्सलियों को हथियार गोला बारूद सप्लाई करता था. 2011 में उसके यहां हथियारों का जखीरा पकड़ा गया, जिसमें AK-47 भी शामिल है. उसपर देशद्रोह और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत मुकदमा दर्ज हुआ. लेकिन अपनी पहुंच और रसूख की बदौलत वह जेल से बाहर आ गया. वह शुरू से आरजेडी से जुड़ा हुआ था. उसी से उसकी रसूख और संपत्ति में इजाफा होता रहा.
खुद हारा चुनाव, पत्नी बनी एमएलसी
पैसा आया तो बिन्दी का शौक भी बढा. उसने अपनी पहली पत्नी को छोड़कर दूसरी शादी मनोरमा यादव से कर ली. मनोरमा के पिता जीटी रोड पर ढाबा चलाते थे. वे पंजाब के रहने वाले थे. मनोरमा यादव से ही रॉकी यादव का जन्म हुआ था. उसने मनोरमा को आरजेडी के टिकट पर 2003 से 2009 तक विधान परिषद का सदस्य बनवाया. उसने खुद आरजेडी और निर्दलीय के रूप में 2005 और 2010 में विधानसभा का चुनाव भी लड़ा, लेकिन दोनों बार हार गया. वहीं पत्नी पिछले साल जदयू के टिकट पर आरजेडी और कांग्रेस के सहयोग से विधान परिषद का चुनाव जीत गई.