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उत्तर प्रदेश की सरकार ने मुलायम सिंह समेत छह पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगले को सुप्रीम कोर्ट के फैसले की मार से बचाने का रास्ता खोज लिया है. मंगलवार को राज्य की विधानसभा ने उत्तर प्रदेश मंत्री वेतन, भत्ता और प्रकीर्ण संशोधन अधिनियम 2016 को मंजूरी दे दी.
पूर्व मुख्यमंत्रियों को देना होगा निर्धारित किराया
बिल में इस बात का प्रावधान किया गया है कि राज्य सरकार किसी भी पूर्व मुख्यमंत्री को जीवन भर के लिए सरकारी आवास आवंटित कर सकती है. उन्हें इसके लिए निर्धारित किराया देना होगा. इसी बिल के जरिए अखिलेश सरकार ने चुनाव के पहले मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों का वेतन भी बढ़ा दिया है.
बढ़ाया कैबिनेट मंत्रियों का वेतन
नए कानून के तहत अब मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री को 40 हजार रुपये प्रति महीने का वेतन मिलेगा, जो पहले सिर्फ 12 हजार था. अब उनकी भरपाई भी 500 रुपये प्रति महीने की बजाए 10 हजार रुपये कर दी गई है. इस अधिनियम को पास करके राज्य सरकार ने कोशिश की है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से राहत पाने का रास्ता निकाला जाए.
1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था फैसला
लोक प्रहरी नाम की एक संस्था की याचिका पर 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि दो महीने के अंदर यूपी के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी आवास खाली करा लिया जाएं. कोर्ट ने फैसले में कहा था कि बिना कोई कानून बनाए राज्य सरकार सरकारी बंगलों को इस तरह कैसे आवंटित कर रही है.
कोर्ट के फैसले से जिन पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगले पर कोर्ट के फैसले की तलवार लटक गई थी, उसमें अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव के अलावा नारायण दत्त तिवारी, राम नरेश यादव, कल्याण सिंह, मायावती और राजनाथ सिंह भी शामिल हैं.